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नई दिल्ली. भारत के सैन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को राजस्थान में आधिकारिक तौर पर मध्यम दूरी के जमीन से आसमान में मार करने वाले मिसाइल एयर डिफेंस सिस्टम (Surface-to-Air Missile Air Defence System) को शामिल किया.
भारतीय वायुसेना के 2204 स्कवॉड्रन एयरफोर्स की पहली स्कवॉड्रन बन गई है जिसमें MRSAM यानी मिडियम रेंज सर्फेस टू एयर मिसाइल आधिकारिक तौर पर शामिल कर लिया गया. डीआरडीओ और इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्री ने इसे मिलकर डिवेलप किया है.
जैसलमेर में एक कार्यक्रम में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने वायुसेना को इस सिस्टम की चाबी सौंपी. यह डिफेंस सिस्टम दुश्मन के एयरक्राफ्ट और गाइडेड हथियार से अपने इलाके की और फोर्स की रक्षा करने में पूरी तरह से सक्षम है. यह सिस्टम डेडिकेटेड रेडार के सपोर्ट से अकेले फायरिंग यूनिट की तरह ऑपरेट कर सकता है. खतरा चाहे ट्रेडिशनल हो या फिर एडवांसड, ये सिस्टम बहुत जल्दी से रिएक्ट कर दुशमन के खतरे को नष्ट कर सकता है.
यह सिस्टम एक ही वक्त में दुश्मन के अलग अलग 16 टारगेट पर 24 मिसाइल दाग सकता है. ये एक सुपरसोनिक मिसाइल हैं और इसमें एक ऐसा सीकर है जो दुश्मन को ढूंढकर उसे नष्ट कर देता है सकी रेंज 70 किलोमीटर तक है. यही नहीं, यह दुश्मन के एयरक्राफ्ट को 110 किलोमीटर तक भी निशाना बना सकती है. ये एक मोबाइल वर्टिकल लान्चर है और कम समय में किसी भी जगह पर इसे तैनात किया जा सकेगा.
इस सिस्टम की एक बैटरी में तीन लान्चर है और हर लान्चर में 8ट्यूब है. एक बार सभी मिसाइल लॉन्च होने के बाद महज कुछ समय में ही इसे फिर से रीलोड भी किया जा सकता है. इस मौके पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सीमा पार से आने वाले किसी भी खतरे को तुरंत ही नष्ट कर दिया जाएगा. ये मिसाइल सिस्टम हमारी एयर डिफेंस सिस्टम में एक गेम चेंजर साबित होगा, ऐसा मेरा विश्वास है. एयरफोर्स ने इस मिसाइल का इंडक्शन, रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदमों का भी एक बड़ा उदाहरण है.
क्यों खास है ये मिसाइल
– कई विशिष्ट क्षमताओं से लैस यह मिसाइल 70 किलोमीटर के दायरे में आने वाली किसी भी मिसाइल, लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर, ड्रोन, निगरानी विमानों और हवाई शत्रुओं को मार गिराने में सक्षम है.
– 360 डिग्री घूम कर यह मिसाइल अपने दायरे में आने वाले कई हवाई दुश्मनों पर एक साथ हमला कर सकती है. बता दें, मिसाइल का 17 मई 2019 को नौसेना के जहाज से सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया था.
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