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भारत की जमकर तारीफ, रूस के विदेश मंत्री ने कह दी इतनी बड़ी बात

jantaserishta.com
5 March 2024 3:15 AM GMT
भारत की जमकर तारीफ, रूस के विदेश मंत्री ने कह दी इतनी बड़ी बात
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फाइल फोटो

रूस से तेल खरीदने के भारत के कदम की आलोचना की गई थी.
नई दिल्ली: भारत का रूस से सस्ते दाम पर तेल खरीदने का मुद्दा वैश्विक स्तर पर चर्चा में रहा है. इस पर समय-समय पर भारत सरकार की ओर से प्रतिक्रिया भी दी गई है. लेकिन अब रूस की तरफ से इस मामले पर बयान सामने आया है.
रूस के विदेश मंत्री सर्गेइ लावरोव (Sergey Lavrov) ने कहा मेरे दोस्त जयशंकर ने इसका बखूबी जवाब दिया है. रूस के सोच्चि में वर्ल्ड यूथ फोरम के दौरान लावरोव से पूछा गया था कि यूक्रेन युद्ध के बीच भारत आखिर क्यों रूस से तेल खरीद रहा है. इस पर लावरोव ने जयशंकर को अपना दोस्त बताते हुए कहा कि रूस से कच्चा तेल खरदीना भारत के लिए राष्ट्रीय गरिमा की बात है.
लावरोव ने कहा कि मेरे दोस्त, विदेश मंत्री जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र में अपने संबोधन में इस बारे में कहा था. उनसे पूछा गया था कि उन्होंने (भारत) रूस से इतना तेल खरीदना क्यों शुरू कर दिया है. इस पर जयशंकर ने उन्हें अपना काम करने की नसीहत दी थी और ये भी याद दिलाया था कि पश्चिमी देशों ने कितना तेल खरीदना शुरू किया है.
बता दें कि लावरोव का ये बयान यूरोप के देशों के उन बयान के बाद आया है, जिनमें रूस से तेल खरीदने के भारत के कदम की आलोचना की गई थी. यूरोपीय देशों ने कहा था कि भारत का रूस से तेल खरीदना मॉस्को पर लगाए गए पश्चिमी प्रतिबंधों के लिए सही नहीं होगा.
फरवरी 2022 में रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद से ही पश्चिमी देशों ने रूस को अलग-थलग कर दिया है और उस पर तमाम तरह के प्रतिबंध लगा दिए हैं.
लेकिन इन प्रतिबंधों के बावजूद भारत ने रूस से सस्ते दाम पर तेल खरीदना जारी रखा. इतना ही नहीं पश्चिमी देशों के बैन के बावजूद भारत ने रूस से तेल खरीद बढ़ा दी. जनवरी 2023 तक रूस से भारत में तेल आयात बढ़कर 12.7 लाख बैरल रहा है. 2023 में रूस से भारत में तेल आयात दोगुना होकर प्रतिदिन की दर से 17.9 लाख बैरल रहा.
रूस से भारत के तेल खरीदने के अपने फैसले का समर्थन करते हुए जयशंकर ने हाल ही में कहा था कि रूस से कच्चा तेल खरीदना बिल्कुल सही फैसला है. जब यूक्रेन में युद्ध शुरू हुआ था तो मिडिल ईस्ट के देशों ने यूरोप के देशों को प्राथमिकता दी थी. क्योंकि यूरोप के देश तेल के लिए अधिक कीमत दे रहे थे. हमारे पास ऐसे में क्या विकल्प था? या तो हमें तेल नहीं मिलता क्योंकि सारा तेल यूरोप के देश खरीद रहे थे या फिर हम अधिक कीमतों पर तेल खरीदते क्योंकि यूरोप पहले से ही बहुत अधिक कीमत पर तेल खरीद रहा था.
उन्होंने कहा था कि ऐसे में भारत ने रूस से कच्चा तेल खरीद कर बाजार में तेल की कीमतों को स्थिर करने का काम किया. रूस के साथ भारत के बहुत ही स्थिर और दोस्ताना संबंध हैं और रूस ने कभी भी हमारे हितों को नुकसान नहीं पहुंचाया. जबकि दूसरी तरफ हमारे चीन के साथ राजनैतिक और सैन्य तौर पर अधिक जटिल संबंध हैं.
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