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लद्दाख में भारत ने स्वदेशी हेलीकॉप्टर से किया 'हेलिना मिसाइल' का सफल परीक्षण, जानिए इसकी खूबियां

jantaserishta.com
12 April 2022 9:33 AM GMT
लद्दाख में भारत ने स्वदेशी हेलीकॉप्टर से किया हेलिना मिसाइल का सफल परीक्षण, जानिए इसकी खूबियां
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नई दिल्ली: भारत ने लगातार दूसरे दिन एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (anti-tank guided missile) का सफल परीक्षण किया है. आज मंगलवार को एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (helina) हेलीना का सफल परीक्षण किया गया. इस मिसाइल का परीक्षण एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर द्वारा लद्दाख के ऊंचाई वाले क्षेत्र में किया गया, जो पूरी तरह से कामयाब रहा. रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के अधिकारियों ने बताया कि परीक्षण के दौरान मिसाइल ने एक नकली टैंक को सफलतापूर्वक मार गिराया.

इससे पहले रक्षा मंत्रालय ने सोमवार को बताया कि भारत ने आज उच्च ऊंचाई पर एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर (Advanced Light Helicopter) से स्वेदश में निर्मित एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (एटीजीएम), हेलीना का सफलतापूर्वक परीक्षण किया, जिससे हेलिकॉप्टर के साथ हथियार के एकीकरण का मार्ग भी प्रशस्त हुआ. ये मिसाइल फायर एंड फारगेट सिस्टम पर यानी दागो और भूल जाओ की रणनीति पर काम करती है.
यह टेस्टिंग राजस्थान में पोखरन फायरिंग रेंज में किए गए टेस्टिंग की एक सीरीज के तहत किया गया. हेलीना या हेलिकॉप्टर आधारित नाग मिसाइल, सात किमी दूर तक के लक्ष्य पर हमला कर सकती है. रक्षा मंत्रालय ने इस बारे में जारी अपने एक बयान में कहा कि इंफ्रारेड इमेजिंग सीकर सिस्टम द्वारा निर्देशित फायर एंड फॉरगेट मिसाइल ने सफलतापूर्वक उच्च ऊंचाई पर एक नकली टैंक लक्ष्य को निशाना बनाया. रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO), भारतीय वायु सेना और सेना ने संयुक्त रूप से परीक्षण किया.
इससे पहले रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने पिछले हफ्ते शुक्रवार को एक प्रणोदन प्रणाली का सफलतापूर्वक परीक्षण किया जो किसी मिसाइल को, सुपरसोनिक गति से काफी अधिक दूरी पर, हवाई खतरों को रोकने में सक्षम बनाती है. सॉलिड फ्यूल डक्टेड रैमजेट (एसएफडीआर) बूस्टर का परीक्षण ओडिशा के चांदीपुर अपतटीय क्षेत्र स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) से किया गया.
अधिकारियों ने कहा कि एसएफडीआर के सफल परीक्षण से डीआरडीओ को हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों की मारक क्षमता की सीमा बढ़ाने में मदद मिलने की उम्मीद है. एसएफडीआर-आधारित प्रणोदन किसी मिसाइल को सुपरसोनिक गति से काफी अधिक दूरी पर हवाई खतरों को रोकने में सक्षम बनाता है. रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि एसएफडीआर का परीक्षण सफल रहा और जटिल मिसाइल प्रणाली में शामिल सभी महत्वपूर्ण घटकों ने विश्वसनीय प्रदर्शन किया तथा मिशन के सभी उद्देश्य पूरे कर लिए गए.
इसने कहा कि टेलीमेट्री, रडार और इलेक्ट्रो ऑप्टिकल ट्रैकिंग प्रणाली जैसे कई उपकरणों द्वारा जुटाए गए डेटा से प्रणाली के सटीक प्रदर्शन की पुष्टि हुई. मंत्रालय ने कहा कि एसएफडीआर को रक्षा अनुसंधान और विकास प्रयोगशाला, हैदराबाद ने अन्य डीआरडीओ प्रयोगशालाओं जैसे कि अनुसंधान केंद्र इमारत, हैदराबाद और उच्च ऊर्जा सामग्री अनुसंधान प्रयोगशाला, पुणे के सहयोग से विकसित किया है.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एसएफडीआर के सफल परीक्षण के लिए डीआरडीओ को बधाई दी. उन्होंने इसे देश में महत्वपूर्ण मिसाइल प्रौद्योगिकियों के विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण, मील का पत्थर बताया. प्रणाली के डिजाइन, विकास और परीक्षण में शामिल टीम की सराहना करते हुए डीआरडीओ के अध्यक्ष जी सतीश रेड्डी ने कहा कि एसएफडीआर के सफल परीक्षण के बाद हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों की मारक क्षमता की सीमा को बढ़ाया जा सकता है.
पिछले महीने 30 मार्च को भारत ने ओडिशा तट से मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली दो और मिसाइलों का परीक्षण किया. डीआरडीओ के सूत्रों ने बताया कि दोपहर से पहले चांदीपुर के एकीकृत परीक्षण रेंज लॉन्च पैड-3 से सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों (एमआरएसएएम) का परीक्षण किया गया.


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