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भारत ने रूस से तेल खरीद पर दिया जवाब, विदेश मंत्री ने दिया बड़ा बयान
jantaserishta.com
25 March 2022 4:46 AM GMT
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नई दिल्ली: यूक्रेन पर रूस के हमले के बीच अमेरिका समेत कई पश्चिमी देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगा दिए हैं. हालांकि, भारत रूस से व्यापार जारी रखने के दूसरे विकल्पों पर विचार कर रहा है. भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गुरुवार को राज्यसभा में रूस से रुपये और रूबल में व्यापार करने की संभावना से भी इनकार नहीं किया.
राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने यूक्रेन और रूस पर भारत के रुख से जुड़े कई सवालों के जवाब दिए.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने रूस पर भारत के रुख को ढुलमुल बताया था. इसके जवाब में विदेश मंत्री ने कहा कि भारत का रुख शांति के पक्ष में है और विदेश नीति से जुड़े फैसले राष्ट्र हित में लिए जाते हैं.
शिरोमणि अकाली दल (SAD) के सांसद नरेश गुजराल ने रूस पर पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के बीच रूस से डिस्काउंट पर मिल रहे तेल को लेकर सवाल पूछा. उन्होंने सवाल किया, यूरोप का पाखंड देखिए, एक तरफ वो रूस पर प्रतिबंध लगा रहा है और दूसरी तरफ तेल खरीदना भी जारी रखे हुए हैं, मेरा सवाल ये है कि भारत की रूस के साथ रुपये में व्यापार करने की नीति रही है, क्या सरकार इन पहलुओं पर विचार कर रही है ताकि हमारा निर्यात प्रभावित ना हो और हम रूस से आयात करना जारी रखें.
इस सवाल के जवाब में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा, मैं ये बताना चाहता हूं कि रूस से व्यापार को लेकर आ रही अड़चनों को देखते हुए सरकार भुगतान के तरीके समेत हर पहलू पर विचार कर रही है. इन मामलों को देखने के लिए वित्त मंत्रालय के नेतृत्व में मंत्रियों का एक समूह भी बना हुआ है.
विदेश मंत्री ने कहा, भारत रूस से बहुत कम मात्रा में तेल आयात करता है, ये हमारे कुल आयात का एक फीसदी से भी कम है. जबकि कई देश हमारी तुलना में दस से बीस गुना तेल रूस से आयात करते हैं.
आरजेडी के मनोज झा ने सवाल किया, 1947 से क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता के उल्लंघन को लेकर हमारी सख्त नीति रही है. क्या रूस-यूक्रेन के मुद्दे पर भी हम पुरानी नीति पर कायम हैं.
जयशंकर ने कहा, हमारा रुख ये नहीं है कि रूस-यूक्रेन संकट हमारी समस्या नहीं है बल्कि हम शांति के हिमायती हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने व्लादिमीर पुतिन से तीन बार और यूक्रेन राष्ट्रपति जेलेंस्की से दो बार बातचीत की. हमने भारतीय छात्रों की सुरक्षित वापसी का मुद्दा उठाया. उस वक्त ये बड़ा मसला था लेकिन उसके अलावा हम दोनों देशों के बीच तनाव कम करने को लेकर प्रयास कर रहे थे. कई देश इस युद्ध को रोकना चाह रहे हैं और हमने भी ये बात बिल्कुल स्पष्ट तरीके से रखी है.
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