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वैश्विक भुखमरी सूचकांक में अन्य देशों में 101वें नंबर पर भारत, जानें रिपोर्ट
Deepa Sahu
14 Oct 2021 6:31 PM GMT
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वैश्विक भुखमरी सूचकांक (GHI) 2021 ने भारत को 116 देशों में से 101वां स्थान दिया है।
वैश्विक भुखमरी सूचकांक (GHI) 2021 ने भारत को 116 देशों में से 101वां स्थान दिया है। 2020 में भारत 107 देशों में 94वें स्थान पर था। 2021 की रैंकिंग के अनुसार, पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल ने भारत से बेहतर प्रदर्शन किया है। सहायता कार्यों से जुड़ी आयरलैंड की एजेंसी कंसर्न वर्ल्डवाइड और जर्मनी का संगठन वेल्ट हंगर हिल्फ की ओर से संयुक्त रूप से तैयार की गई रिपोर्ट में भारत में भूख के स्तर को 'चिंताजनक' बताया गया है।
भारत का जीएचआई स्कोर भी गिर गया है। यह साल 2000 में 38.8 था, जो 2012 और 2021 के बीच 28.8-27.5 के बीच रहा। जीएचआई स्कोर की गणना चार पैरामीटर पर की जाती है, जिनमें अल्पपोषण, कुपोषण, बच्चों की वृद्धि दर और बाल मृत्यु दर शामिल हैं। साल 2020 में भारत 107 देशों में 94वें स्थान पर था। अब 116 देशों में यह 101वें स्थान पर आ गया है।
पाकिस्तान समेत इन देशों का भारत से बेहतर प्रदर्शन
रिपोर्ट के अनुसार, पड़ोसी देश जैसे नेपाल (76), बांग्लादेश (76), म्यांमार (71) और पाकिस्तान (92) भी भुखमरी को लेकर चिंताजनक स्थिति में हैं, लेकिन भारत की तुलना में ये सभी अपने नागरिकों को भोजन उपलब्ध कराने को लेकर बेहतर प्रदर्शन किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में कोविड-19 और महामारी संबंधी प्रतिबंधों की वजह से लोग बुरी तरह प्रभावित हुए हैं, जहां दुनिया भर में बच्चों की वेस्टिंग की दर सबसे ज्यादा है। कई पैरामीटरों पर भारत ने किया है सुधार
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में चाइल्ड वेस्टिंग की दर 1998 और 2002 के बीच 17.1 प्रतिशत से बढ़कर 2016 और 2020 के बीच 17.3 प्रतिशत हो गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने अन्य पैरामीटरों में सुधार दिखाया है जैसे कि बाल मृत्यु दर, बाल स्टंटिंग की व्यापकता और अपर्याप्त भोजन के कारण अल्पपोषण की व्यापकता।
चीन समेत ये पांच देश टॉप पोजीशन पर
रिपोर्ट में चीन, ब्राजील और कुवैत सहित अठारह देशों ने पांच से कम के जीएचआई स्कोर के साथ टॉप स्थान साझा किया है। जीएचआई की रिपोर्ट के मुताबिक, पूरी दुनिया के लिए भूख के खिलाफ लड़ाई खतरनाक तरीके से पटरी से उतर रही है। वर्तमान अनुमानों के आधार पर, दुनिया और विशेष रूप से 47 देश 2030 तक निम्न स्तर की भूख को प्राप्त करने में असमर्थ होंगे।
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