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आतंकियों से निपटने के लिए भारत-मलेशिया का सैन्य अभ्यास 'हरिमाऊ शक्ति'
jantaserishta.com
2 Dec 2024 11:31 AM GMT
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नई दिल्ली: भारत और मलेशिया की सेनाओं के बीच होने वाला संयुक्त सैन्य अभ्यास 'हरिमाऊ शक्ति' सोमवार को प्रारंभ हो गया। यह युद्धाभ्यास मलेशिया में आयोजित किया जा रहा है। संयुक्त अभ्यास के अंतर्गत दोनों देशों की सेनाएं जंगल में आतंकवाद विरोधी अभियान का अभ्यास करेगी। एक खास अभ्यास के तहत आतंकवादियों द्वारा कब्जा किए गए क्षेत्र को मुक्त करने के लिए सैन्य हमला किया जाएगा। इससे भारत और मलेशिया दोनों देशों की सैन्य कार्य क्षमता का विकास होगा।
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक मलेशिया में होने वाला यह अभ्यास जंगल के वातावरण से संबंधित अभियानों पर केंद्रित है। 'हरिमाऊ शक्ति' सैन्य अभ्यास का यह चौथा संस्करण है जो सोमवार को मलेशिया के पहांग जिले के बेंटोंग कैंप में शुरू हुआ। यह अभ्यास 15 दिसंबर तक आयोजित किया जाएगा। 78 कर्मियों वाली भारतीय टुकड़ी का प्रतिनिधित्व महार रेजिमेंट की एक बटालियन कर रही है। वहीं, मलेशियाई टुकड़ी का प्रतिनिधित्व 'रॉयल मलेशियाई रेजिमेंट' के 123 कर्मियों द्वारा किया जा रहा है।
संयुक्त अभ्यास 'हरिमाऊ शक्ति' एक वार्षिक प्रशिक्षण कार्यक्रम है, जो भारत और मलेशिया में बारी-बारी से आयोजित किया जाता है। पिछला संस्करण नवंबर 2023 में भारत के मेघालय में उमरोई छावनी में आयोजित किया गया था। संयुक्त अभ्यास का उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र अधिदेश के अध्याय 7 के तहत जंगल क्षेत्र में आतंकवाद विरोधी अभियान चलाने के लिए दोनों पक्षों की संयुक्त सैन्य क्षमता को बढ़ाना है।
यह अभ्यास जंगल के वातावरण में अभियानों पर केंद्रित होगा। संयुक्त सैन्य अभ्यास के विषय में जानकारी देते हुए रक्षा मंत्रालय ने बताया कि इस अभ्यास को दो चरणों में आयोजित किया जाएगा। पहले चरण में दोनों सेनाओं के बीच क्रॉस ट्रेनिंग पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इसमें दोनों देशों की सैन्य टुकड़ियों के लिए व्याख्यान, प्रदर्शन और जंगल के इलाकों में विभिन्न अभ्यास शामिल हैं।
अंतिम व दूसरे चरण में दोनों सेनाएं एक मॉक अभ्यास में सक्रिय रूप से भाग लेंगी। इसमें सैनिक एंटी-एमटी एंबुश, बंदरगाह पर कब्जा, टोही गश्त, एंबुश और आतंकवादियों द्वारा कब्जा किए गए क्षेत्र पर हमला सहित विभिन्न अभ्यास करेंगे। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक हरिमाऊ शक्ति अभ्यास से दोनों पक्षों को संयुक्त अभियान चलाने की रणनीति, तकनीक और प्रक्रियाओं में सर्वोत्तम अभ्यास साझा करने का अवसर मिलेगा। इससे दोनों सेनाओं के बीच अंतर-संचालन और सौहार्द विकसित करने में मदद मिलेगी। संयुक्त अभ्यास से रक्षा सहयोग भी बढ़ेगा, जिससे दोनों मित्र देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों में और वृद्धि होगी।
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