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भारत ने बंद किया गेहूं का निर्यात, अब आगे क्या होगा? जानें

jantaserishta.com
15 May 2022 10:39 AM GMT
भारत ने बंद किया गेहूं का निर्यात, अब आगे क्या होगा? जानें
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नई दिल्ली: रोटी, ब्रेड, पास्ता, पिज्जा, बर्गर... जैसी खाने की कई चीजें गेहूं से बनती है. गेहूं दुनिया के लोगों की खाने की थाली में कोई न कोई रूप में मौजूद रहता ही रहता है. लेकिन गेहूं की उपज दुनिया के हर हिस्से में नहीं होती है. इसलिए गेहूं की सप्लाई का बैलेंस कायम रखने के लिए इसका आयात-निर्यात होता रहता है. लेकिन पिछले ढाई महीनों से चल रहे रूस-यूक्रेन की लड़ाई ने गेहूं के सप्लाई चेन को डगमगा दिया है.

यूक्रेन और रूस दोनों ही दुनिया के बड़े गेहूं उत्पादक देश हैं और दोनों ही युद्ध की विभीषिका झेल रहे हैं. रूस ने ब्लैक सी में यूक्रेन के बंदरगाहों की नाकेबंदी और घेराबंदी कर रखी है. लिहाजा यहां से कई हफ्तों से यूरोप को गेहूं की सप्लाई नहीं हो पा रही है. इससे विश्व बाजार में गेहूं की कीमतें बढ़ने लगी है. ऐसी ही परिस्थिति में गेहूं का एक और बड़ा उत्पादक देश भारत ने भी गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दिया है. इससे पहले से ही डवांडोल स्थिति के और भी चरमराने का अंदेशा पैदा हो गया है.
रूस दुनिया का सबसे बड़ा गेहूं निर्यातक देश है. यूक्रेन और रूस मिलकर दुनिया के एक चौथाई गेहूं का निर्यात करते हैं और यूरोप, उत्तरी अफ्रीका और मध्य पूर्व के करोड़ों लोगों का पेट भरते हैं. इन दोनों देशों से सूरजमुखी का बीज, बार्ली और मक्के की सप्लाई भी दुनिया को होती है.
अब इसे राष्ट्रपति पुतिन की प्लानिंग कहें या संयोग लेकिन रूस ने यूक्रेन के साथ युद्ध शुरू होने से पहले ही साल 2021 में गेहूं के निर्यात को सीमित कर दिया है. रूस ने गेहूं के निर्यात को कम करने के लिए निर्यात टैक्स लगा दिया है. रूस का तर्क है कि घरेलू बाजार में खाद्यान्न कीमतों पर नियंत्रण के लिए उसने ऐसा कदम उठाया है. रूस के इस कदम से दुनिया के खाद्य बाजार में गेहूं की किल्लत पहले से ही चली आ रही थी.
बता दें कि कृषि से संबंधित उत्पादों का बाजार वैश्विक हैं, इसलिए गेहूं की आपूर्ति में कोई भी कमी ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना और अमेरिका सहित दुनिया के अन्य हिस्सों में पैदा होने वाले गेहूं की मांग और दाम को बढ़ा सकती है.
रूस और यूक्रेन का युद्ध शुरू होने से पहले ही दुनिया कोरोना के मार से जूझ रही थी. समु्द्री मार्ग कई महीनों से बंद थे. गेहूं की खरीद बिक्री या तो कम हो रही थी या फिर हो ही नहीं रही थी. इसकी वजह से दुनिया में खाद्यान्नों की कीमतें पहले से ही बढ़ रही थीं. गेहूं की कीमतें भी इससे बच नहीं पाई थी. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुसार अप्रैल 2020 से दिसंबर 2021 के बीच गेहूं की कीमतें 80 फीसदी बढ़ चुकी थी.
इन विपरित परिस्थितियों के बीच फरवरी में पुतिन 24 फरवरी को यूक्रेन के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी. इसका नतीजा ये रहा कि रूसी बमबारी के बीच यूक्रेन के बंदरगाह ठप हो गए, निर्यात रुक गया.
यूक्रेन से गेहूं का निर्यात रुकने से यूरोपियन यूनियन देशों को खासी परेशानी हुई है. बता दें कि ओडेशा और मारियुपोल जैसे बंदरगाह ब्लैक सी के तट पर ही स्थित हैं. रूसी बमबारी की वजह से यहां से निर्यात लगभग ठप है. यहां से पिछले तीन महीनों में 20 मिलियन टन गेहूं का निर्यात होना था. लेकिन ऐसा हो नहीं पाया है. अब EU यूक्रेन से गेहूं निर्यात के लिए समुद्री रूट के अलावा अन्य विकल्पों जैसे रेल, रोड और नदी का इस्तेमाल करने पर विचार कर रहा है.
ओडेशा पोर्ट पहुंचे यूरोपियन काउंसिल के अध्यक्ष माइकल ने कहा कि यहां पर गेहूं, मकई और दूसरे अनाज से भरे हैं. इस पोर्ट को तुरंत खोले जाने की जरूरत है.
यूरोपियन निवेश बैंक के प्रमुख का कहना है कि यूक्रेन के पास 8 बिलियन यूरो का गेहूं है लेकिन युद्ध की वजह से वो इसे निर्यात नहीं कर सकता है. यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने भी कहा है कि अगर यूक्रेन के बंदरगाह नहीं खोले गए तो अफ्रीका, यूरोप और एशिया के कई देशों को खाद्यान्न संकट का सामना करना पड़ सकता है.
वर्ल्ड फूड प्रोग्राम ने कहा है कि 24 फरवरी को यूक्रेन-रूस युद्ध के बाद गेहूं की निर्यात कीमतें 22 फीसदी बढ़ गई हैं, जबकि मक्के की कीमत 20 फीसदी बढ़ी है.
संकट की इस घड़ी में दुनिया की नजर भारत के स्टोरेज पर है. दुनिया भर में फैलते जा रहे इस खाद्य संकट के बीच संयुक्त राष्ट्र की संस्था वर्ल्ड फूड प्रोग्राम भारत से गेहूं खरीदने पर विचार कर रहा है. वर्ल्ड फूड प्रोग्राम के अनुसार भारत से इस बारे में बात चल रही है. वर्ल्ड फूड प्रोग्राम के मुख्य अर्थशास्त्री आरिफ हुसैन ने कहा कि भारत सरकार से इस बारे में बात चल रही है. बता दें कि एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2020-21 में भारत में 109.59 मिलियन टन गेहूं की पैदावार हुई थी.
हालांकि दुनिया भर में गेहूं की बढ़ती कीमतें, घरेलू बाजार में खाद्यान्न की बढ़ती कीमतें और मुद्रा स्फीति से निपटने के लिए शनिवार को ही भारत सरकार ने गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी है. अब देखना होगा कि वर्ल्ड फूड प्रोग्राम इस रोक के बीच भारत से गेहूं खरीदने का रास्ता कैसे निकालता है. हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी जब जर्मनी की यात्रा पर गए थे तब उन्होंने कहा था कि आज भारत का किसान दुनिया का पेट भरने के लिए तैयार है. पीएम मोदी ने कहा था कि जब विश्व गेहूं की कमी से जूझ रहा है. उस समय हमारे देश का मेहनती किसान दुनिया का पेट भरने के लिए आगे आ रहा है. हालांकि घरेलू मजबूरियों की वजह से भारत ने फिलहाल गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी है.
कुछ ही महीने पहले भारत ने खाद्यान्न संकट से जूझ रहे अफगानिस्तान को गेहूं सप्लाई करने का निर्णय लिया है. भारत सरकार अफगानिस्तान को 50 हजार टन गेहूं पाकिस्तान के जरिए भेज रहा है.
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