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भारत ने चीन को दिया जोर का झटका, बौखलाना तय

jantaserishta.com
10 April 2024 4:43 AM GMT
भारत ने चीन को दिया जोर का झटका, बौखलाना तय
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ईरान के चाबहार के बाद म्यांमार बंदरगाह पर भी भारत ने अपना नियंत्रण कर लिया है।
नई दिल्ली: समुद्र में अपने हैरंतगेज सफल ऑपरेशनों के बाद भारत दुनिया में लगातार अपना रुतबा बढ़ा रहा है। ईरान के चाबहार के बाद म्यांमार बंदरगाह पर भी भारत ने अपना नियंत्रण कर लिया है। हाल ही में म्यांमार और भारत सरकार के बीच इस समझौते को हरी झंडी मिली है। विदेश मंत्रालय ने म्यांमार के सिटवे में कलादान नदी पर मौजूद बंदरगाह के संचालन को संभालने के लिए इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (आईजीपीएल) के एक प्रस्ताव को मंजूरी दी। भारत की यह उपलब्धि चीन के लिए बड़ा झटका है क्योंकि, चीन म्यांमार के पश्चिमी तट पर क्याउकफ्यू बंदरगाह पर निर्माण कार्य कर रहा है, जो भारत के लिए टेंशन की बात थी।
म्यांमार में सिटवे बंदरगाह में इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय के पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी कार्यरत है। ईरान के चाबहार पोर्ट के बाद यह दूसरा विदेशी बंदरगाह है, जहां की सुरक्षा भारत के जिम्मे होगी। यह न सिर्फ समु्द्र बल्कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति की दृष्टि से भारत की बड़ी जीत है। म्यांमार और भारत के बीच यह समझौता क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिए किया गया है।
सिटवे बंदरगाह पर सागरमाला डेवलपमेंट कंपनी लिमिटेड की सहायक कंपनी इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय का पूर्ण स्वामित्व होगा। बंदरगाह पर लंबी लीज व्यवस्था लागू की गई है, जो हर तीन साल में रिन्यू होगी। ईरान के चाबहार में टर्मिनलों पर सीमित नियंत्रण के विपरीत भारत के पास सिटवे बंदरगाह पर पूर्ण परिचालन अधिकार होगा। भारत के इस कदम ने चीन के हिंद महासागर में एकछत्र राज के सपने को चकनाचूर कर दिया है।
यह बंदरगाह कलादान परियोजना का अभिन्न अंग है, जिसका उद्देश्य म्यांमार में सिटवे और भारतीय राज्य मिजोरम के बीच जलमार्ग और सड़क नेटवर्क और कनेक्टिविटी को बढ़ाना है। इससे दोनों देशों के बीच आर्थिक विकास और क्षेत्रीय एकीकरण को बढ़ावा मिलेगा। कलादान परियोजना के जलमार्ग और सड़क नेटवर्क से मिजोरम और त्रिपुरा के लिए कनेक्टिविटी में काफी सुधार होगा, जिससे क्षेत्र में व्यापार और वाणिज्य को बढ़ावा मिलेगा।
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