भारत

भारत 'दुनिया का जीसीसी कैपिटल' बनने के लिए पूरी तरह तैयार

jantaserishta.com
16 Jan 2025 10:29 AM GMT
भारत दुनिया का जीसीसी कैपिटल बनने के लिए पूरी तरह तैयार
x
नई दिल्ली: सरकार ने गुरुवार को कहा कि भारत 1,700 वैश्विक क्षमता केंद्रों (जीसीसी) के साथ ‘दुनिया का जीसीसी कैपिटल’ बनने के लिए तैयार है, जिसमें दो मिलियन से अधिक लोग काम करेंगे। यह संख्या 2030 तक तेजी से बढ़ने का अनुमान है।
जीसीसी एआई, डेटा एनालिटिक्स, रोबोटिक प्रोसेस ऑटोमेशन, डिजिटल कॉमर्स, साइबर सिक्योरिटी, ब्लॉकचेन, ऑगेमेंटेड रिएल्टी और वर्चुअल रिएल्टी जैसी उभरती टेक्नोलॉजी को अपनाने में अग्रणी हैं। केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया के अनुसार, शिक्षा और रोजगार में तालमेल बिठाने के लिए 'स्किल डेवलपमेंट' हमारे प्रयासों के मूल में होना चाहिए।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, "इनोवेशन को बढ़ावा देने, उत्पादकता बढ़ाने और कार्यबल के लिए व्यक्तियों को तैयार करने के जरिए, हम नौकरियां पैदा कर रहे हैं और ग्लोबल टैलेंट हब का निर्माण कर रहे हैं।" उन्होंने राष्ट्रीय राजधानी में सीआईआई के सहयोग से श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बात की।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उद्योग-अकादमिक संबंधों को मजबूत कर, हम भारत की अनूठी जरूरतों के अनुरूप कौशल मॉडल बना सकते हैं। कौशल, सर्टिफिकेट से आगे बढ़कर व्यक्तियों को उद्योग और स्वरोजगार क्षेत्रों की गतिशील मांगों को पूरा करने के लिए प्रैक्टिकल विशेषज्ञता से लैस करने पर केंद्रित होना चाहिए।"
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की सचिव सुमिता डावरा के अनुसार, तेजी से विकसित हो रहे परिदृश्य में सफल होने के लिए, तीन प्रमुख प्रश्न उभरे हैं। ये तीन प्रश्न हैं- हम तेजी से टेक-संचालित जॉब मार्केट में आगे बढ़ने के लिए डिजिटल रूप से कुशल वर्कफोर्स कैसे विकसित कर सकते हैं? हम वास्तव में इंक्लूसिव वर्कफोर्स बनाने के लिए कौन सी रणनीति अपना सकते हैं, जहां विविधता को महत्व दिया जाता है और सभी को समान अवसर दिए जाते हैं?
इसके अलावा, जैसा कि उद्योग पर्यावरणीय सस्टेनेबिलिटी को प्राथमिकता देते हैं, हम अपने वर्कफोर्स कल्चर में इको-फ्रेंडली प्रैक्टिस और वैल्यू को कैसे इंटीग्रेट कर सकते हैं? हेल्थकेयर, मैन्युफैक्चरिंग, लॉजिस्टिक्स और ग्रीन जॉब्स जैसे प्रमुख क्षेत्रों में निवेश आकर्षित करने के लिए एक स्किल और अडॉप्टेबल वर्कफोर्स महत्वपूर्ण है।
उन्होंने जोर देकर कहा, "श्रम-प्रधान उद्योगों को मजबूत करने से विविध जनसांख्यिकी के लिए समान अवसर सुनिश्चित होते हैं, जिनमें एडवांस एजुकेशन तक सीमित पहुंच वाले लोग भी शामिल हैं।"
jantaserishta.com

jantaserishta.com

    Next Story