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निपाह वायरस का बढ़ता खतरा: एक्शन में केंद्र सरकार, खजूर के पेड़ से फैला
jantaserishta.com
13 Sep 2023 8:51 AM GMT
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तिरुवनंतपुरम: केरल में निपाह वायरस की पुष्टि हो गई है। सीधे ब्रेन पर अटैक करने वाले इस खतरनाक वायरस ने दो लोगों की जान ले ली। वहीं चार लोग इससे अब भी संक्रमित हैं। केरल सरकार ने कहा है कि यह बांग्लादेश वाला वेरिएंट है जो कि काफी खतरनाक है। केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने कहा कि यह वायरस इंसानों से इंसान में फैलता है। इसके फैलने की रफ्तार कम होती है लेकिन खतरनाक बहुत होता है। इस संक्रमण की मृत्यु दर ज्यादा देखी गई है।
जॉर्ज ने इस बात की पुष्टि की है कि कोझिकोड में हुई अप्राकृतिक मौत इसी वायरस की वजह से हुई है। कहा गया है कि एक शख्स की इसी महीने मौत हुई है जबकि दूसरे की मौत 30 अगस्त को हुई थी। बता दें कि 2018 के बाद चौथी बार केरल में निपाह वायरस का कहर है। 2018 में जब पहली बार केरल में निपाह वायरस पाया गया था तब 23 संक्रमित लोगों में से 21 की जान चली गई थी। इसके बाद 2019 और 2021 में फिर से निपाह के केस पाए गए।
आपको जानकर हैरानी होगी कि कोरोना वायरस की वैक्सीन एक साल में ही तैयार हो गई लेकिन निपाह वायरस की वैक्सीन और दवाई अब तक उपलब्ध नहीं है। यह ब्रेन और नर्वस सिस्टम पर अटैक करता है। इस वायरस की वजह से इंसान बहुत जल्दी कोमा में जा सकता है। तेज बुखार, बदन दर्द, उल्टी इसके लक्षण होते हैं। बताया जाता है कि यह वायरस चमगादड़ों से फैला। 1999 में मलेशिया और सिंगापुर में इस वायरस की पहचान की गई थी।
बांग्लादेश में साल 2016 में निपाह वायरस ने कई जानें ले ली थीं। बताया गया था कि यह वायरस खजूर के फल से फैला। खजूर के पेड़ पर चमगादड़ इकट्ठा हुआ करते थे। इसके बाद कई लोगों ने इस पेड़ के खजूर और तरल का इस्तेमाल किया जो कि बीमार हो गए। यही निपाह का बांग्लादेश वेरिएंट है जो कि केरल में फैल रहा है।
निपाह वायरस की पुष्टि के बगाद एनआईवी पुणे की टीम केरल पहुंच गई है। कोझिकोड मेडिकल कॉलेज में एक मोबाइल लैब बनाई गई है। चेन्नई के विशेषज्ञों की एक टीम भी केरल पहुंची है। कोझिकोड प्रशासन ने सात ग्राम पंचायतों को कंटेनमेंट जोन घोषित किया है। लोगों को मास्क पहनने और सैनिटाजर इस्तेमाल करने की सलाह दी गई है।
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