पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) और आयकर विभाग की तरफ से उन्हें और उनके परिवार के अन्य सदस्यों को नोटिस दिए जाने के समय पर सवाल उठाया है. उनका कहना है कि जब वह केंद्र के कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं, उसी समय ये नोटिस क्यों भेज जा रहे हैं. दिल्ली में जंतर-मंतर पर धरना के दौरान कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मीडिया से अनौपचारिक बातचीत के दौरान एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि उनके बेटे रणिंदर को ईडी के नोटिस के अलावा आयकर विभाग द्वारा उन्हें और उनकी पत्नी परनीत कौर को नोटिस मिले थे. यहां तक कि उनकी दो पोतियां, उनमें से एक लॉ स्टूडेंट और दूसरी पोती की सगाई की तैयारी चल रही थी, उन्हें भी नोटिस भेजा गया. नोटिस देने के मामले में एक किशोर पोते को भी नहीं बख्शा गया.
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा, 'मुझे नहीं पता कि इन पर क्या कहना है सिवाय इसके कि इन नोटिसों का समय संदिग्ध है, जिनके नोटिस मिले हैं वो सभी केंद्र सरकार की एजेंसियां हैं. ये नोटिस तब मिले जब विधानसभा में कृषि संशोधऩ बिल को पारित किया गया.' पंजाब के मुख्यमंत्री ने राज्य में आंदोलित किसानों का नक्सली कनेक्शन बताए जाने के आरोप को खारिज किया है. उन्होंने इस आरोप को भी खारिज कर दिया कि पंजाब की कांग्रेस सरकार किसानों को कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के लिए उकसा रही है. कैप्टन अमरिंदर सिंह ने किसानों के आंदोलन को केंद्र सरकार के कदम के खिलाफ प्रतिक्रिया करार दिया
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के इस दावे पर पलटवार करते हुए कि केंद्रीय कृषि कानून किसानों को आजाद करने के लिए है, मुख्यमंत्री ने कहा कि सच्चाई इसके विपरीत है. किसानों को कॉरपोरेट के हवाले किया जा रहा है. सीएम ने कहा कि यह सिर्फ पंजाब के किसानों के लिए ही नहीं बल्कि हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, सहित अन्य राज्यों के लोगों के साथ भी अन्याय है. आम आदमी पार्टी के धरने में शामिल नहीं होने के सवाल पर अमरिंदर सिंह ने उनके दोहरे रुख पर सवाल उठाया और पूछा कि उनके विधायक राज्यपाल से मिलने के लिए विधानसभा से पास प्रस्ताव की प्रति सौंपने क्यों गए थे.