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उत्तर प्रदेश के इस इलाके में टॉर्च की रोशनी से करते है दाह संस्कार, अब तक नहीं बना मुक्तिधाम
Deepa Sahu
8 Aug 2021 5:49 PM GMT
![उत्तर प्रदेश के इस इलाके में टॉर्च की रोशनी से करते है दाह संस्कार, अब तक नहीं बना मुक्तिधाम उत्तर प्रदेश के इस इलाके में टॉर्च की रोशनी से करते है दाह संस्कार, अब तक नहीं बना मुक्तिधाम](https://jantaserishta.com/h-upload/2021/08/08/1226578--.gif)
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उत्तर प्रेदश के झांसी में एक ऐसा मामला सामने आया है,
झांसी.उत्तर प्रेदश के झांसी में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने हाईटेक जमाने की व्यवस्था होने के दावे को कठघरे में लाकर खड़ा कर दिया है. मामला सदर बाजार थाना क्षेत्र के सिमराहा का है. यहां पर टॉर्च की रोशनी में अंतिम संस्कार किया जाता है.
टार्च की रोशनी में अंतिम संस्कार
हालात इस कदर परेशान करने वाले हैं कि खुली जमीन में अंतिम क्रिया करनी पड़ती है. यहां अब तक मुक्तिधाम नहीं बन पाया है. यहां रहने वाले लोग नगर निगम परिक्षेत्र में रहकर भी यहां की तस्वीर को बदलवाने में नाकाम रहे हैं. कहने को तो यह वॉर्ड भगवंतपुरा, सिंगरा सिमराहा और करगुआ को जोड़कर 10 हजार से ज्यादा की वोटिंग वाला इलाका है. सिमराहा में अकेले में ढाई हजार से ज्यादा मतदाता हैं. सदर बाजार के केंद्रीय विद्यालय के पास से रेल क्रॉसिंग पार करते हुए सिमराहा शुरू हो जाता है.
प्रपोजल तो बना, पर नहीं मिली जमीन
पूर्व प्रधान सभासद मुकेश राय ने बताया कि सिमराहा में कुछ दिन पहले सरकारी तौर पर मुक्तिधाम का प्रपोजल बनाया गया, लेकिन जमीन नहीं मिल सकी. गौरतलब है कि यहां पर काफी इलाका आर्मी क्षेत्र में आता है और दूसरी तरफ मध्य प्रदेश जुड़ा हुआ है, जिसकी वजह से जगह नहीं मिल पा रही है. हालांकि जनता समझ नहीं पा रही कि उनका कुसूर क्या है, क्यों खुले आसमान के नीचे उबड़-खाबड़ पथरीली जमीन पर अंत्येष्टि करनी पड़ती है. इलाके की इस तस्वीर ने विकासशील से विकसित होने की राह पर कई सवालिया निशान लगा दिए. जरा सोचिए कि वह इलाका कितना उपेक्षित होगा जहां टॉर्च की रोशनी में पत्थरों के बीच अंतिम संस्कार करने की मजबूरी हो. जहां जीना तो मुश्किल है ही, मरने के बाद श्मशान घाट तक नसीब न हो. फिर लोग अपने प्रतिनिधियों से उम्मीद भी और क्या करें.
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Deepa Sahu
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