राजस्थान के भरतपुर में जिला पुलिस ने एक वर्ष के अंतर्गत प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेन्सेस एक्ट (पॉक्सो) के अंतर्गत दर्ज मामलों की रिपोर्ट तैयार की है. इस रिपोर्ट में सामने आया है कि काफी संख्या में दर्ज पॉस्को के मामले झूठे पाए गए और उसमें पुलिस ने भी एफआर लगाई है. ज्यादातर दर्ज झूठे मामले जमीन विवाद, आपसी लेनदेन, आपसी रंजिश, क्रॉस केस, शादी का झांसा देना आदि के कारण पॉस्को के तहत दर्ज कराए गए, जो पुलिस की जांच में सामने आया है. पॉक्सो के झूठे मामले दर्ज कराने के पीछे की वजह जमीन विवाद, आपसी लेनदेन, आपसी रंजिश, क्रॉस केस, शादी का झांसा तो है ही मगर इसके पीछे एक खास वजह भी बताई जा रही है. दरअसल, पॉस्को के मामले दर्ज कराने वाले पीड़ित पक्ष को सरकार की तरफ से 1 लाख से 10 लाख रुपये तक सहायता देने का प्रावधान भी है. इसलिए झूठे मामले दर्ज कराने की पीछे लोगों का स्वार्थ अपने विरोधी को गलत तरीके से फंसाना भी है और इससे उन्हें आर्थिक मदद भी प्राप्त होती है.
इतना ही नहीं जिला पुलिस अधीक्षक डॉ. अमनदीप सिंह कपूर ने उच्चाधिकारियों से मांग करते हुए सिफारिश की है कि झूठे पॉक्सो के मामले दर्ज कराने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई का प्रावधान होना चाहिए जिससे ना केवल झूठे मामले दर्ज कराने वालों पर अंकुश लगाया जा सकेगा. बल्कि इससे झूठे मामलों की जांच करने में पुलिस का समय भी खराब नहीं होगा.
पुलिस से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, पॉक्सो के अंतर्गत दर्ज कराये गए मामलों में वर्ष 2019 में 34.86% व इस वर्ष जनवरी से सितम्बर तक 13.76% मामले झूठे पाए गए. वहीं दुष्कर्म के प्रयास के अंतर्गत दर्ज मामलों में 2019 में 63.46% व इस वर्ष जनवरी से सितम्बर तक 37.50% मामले झूठे पाए गए. इसी तरह बलात्कार (376) के अंतर्गत दर्ज कराये गए मामलों में वर्ष 2019 में 63.11% और वर्ष 2020 में 37.33% मामले झूठे पाए गए.
पुलिस के मुताबिक, वर्ष 2019 में 225 मामले बलात्कार के दर्ज हुए जिनमें 142 मामले झूठे पाए गए और इसी तरह वर्ष 2020 में 150 मामले दर्ज हुए, जिनमें 56 मामले झूठे पाए गए और इन सभी झूठे मामलों के दर्ज कराने की वजह आपसी झगड़ा, रंजिश, लेनदेन, शादी का झांसा बताया जा रहा है.
वर्ष 2019 में दर्ज पॉक्सो के 109 मामलों में 38 मामले झूठे पाए गए तो वहीं वर्ष 2020 में दर्ज कुल 109 मामलों में 15 मामले झूठे पाए गए और इसकी वजह आपसी झगड़ा, रंजिश, प्रेम प्रसंग था. दुष्कर्म व छेड़छाड़ के अंतर्गत वर्ष 2019 में दर्ज कुल 104 मामलों में 66 मामले झूठे पाए गए.
पॉक्सो, दुष्कर्म का प्रयास, छेड़छाड़ के अंतर्गत ज्यादातर झूठे मामले जिले के मेवात इलाके के कामा थाना क्षेत्र में दर्ज हुए थे. कानून के अनुसार पीड़ित परिवार को आर्थिक सहायता दी जाती है जिसमें सामूहिक दुष्कर्म व हत्या के मामले में पीड़िता परिवार को 5 से 10 लाख रुपये व दुष्कर्म के बाद गर्भवती होने पर 3 से 4 लाख रुपये आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है. इसके लिए पीड़ित परिवार को सरकार की तरफ से तीन क़िस्त में आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है जिसमें शिकायत दर्ज कराने पर पहली किस्त व चालान पेश होने पर दूसरी क़िस्त और कोर्ट द्वारा आरोपी ठहराए जाने पर तीसरी किस्त प्रदान की जाती है.
जिला पुलिस अधीक्षक डॉ. अमनदीप सिंह कपूर ने बताया कि तैयार रिपोर्ट में सामने आया है कि मेवात इलाके व जिले में दर्ज पॉक्सो मामलों में काफी संख्या में झूठी शिकायत दर्ज कराई गयी हैं और पुलिस जांच में ये ज्यादातर मुक़दमे झूठे पाए गए. झूठे मामले दर्ज कराने की वजह आपसी झगड़ा, जमीनी विवाद, रंजिश, प्रेम प्रसंग, शादी जा झांसा है. हमने भी अपने उच्च अधिकारीयों से मांग की है कि पॉस्को के झूठे दर्ज मामले कराने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई का प्रावधान होना चाहिए, जिससे झूठे मामलों की जांच में पुलिस का समय ख़राब ना हो और निर्दोष बेवजह फंस नहीं सके.