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पीएम मोदी की आलोचना वाले पोस्टर मामले में SC ने कहा- 'तीसरे पक्ष के कहने पर FIR रद्द नहीं कर सकते'
Deepa Sahu
30 July 2021 12:40 PM GMT
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सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि वह कोविड-19 टीकाकरण अभियान के सिलसिले में कथित तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना वाले पोस्टर चिपकाने को लेकर दर्ज एफआईआर किसी तीसरे पक्ष के कहने पर रद्द नहीं कर सकता क्योंकि यह फौजदारी कानून में एक गलत उदाहरण स्थापित करेगा। जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस एम.आर. शाह की बेंच ने याचिकाकर्ता वकील प्रदीप कुमार यादव को इसे वापस लेने की अनुमति दे दी, लेकिन स्पष्ट किया कि याचिका का खारिज किया जाना एफआईआर रद्द करने के लिए अदालत का रुख करने वाले वास्तविक पीड़ित व्यक्ति की राह में आड़े नहीं आएगा।
बेंच ने कहा कि हम तीसरे पक्ष के कहने पर एफआईआर रद्द नहीं कर सकते। यह सिर्फ अपवादस्वरूप मामलों में किया जा सकता है जैसे कि याचिकाकर्ता अदालत का दरवाजा नहीं खटखटा सकता हो या उसके माता-पिता यहां हों, लेकिन किसी तीसरे पक्ष के कहने पर नहीं। यह फौजदारी कानून में एक गलत उदाहरण स्थापित करेगा। यादव ने कहा कि उन्होंने मामले का ब्योरा दाखिल किया है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए कहा था। यादव ने अपनी जनहित याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी थी, जिसकी कोर्ट ने अनुमति दे दी है। शीर्ष अदालत ने 19 जुलाई को यादव को कथित तौर पर पोस्टर चिपकाने के लिए दर्ज मामलों और गिरफ्तार किए गए लोगों की सूची उसके संज्ञान में लाने को कहा था।सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह केंद्र की टीकाकरण नीति की आलोचना करने वाले पोस्टर चिपकाने को लेकर एफआईआर नहीं दर्ज करने का पुलिस को आदेश नहीं दे सकता है।
यादव ने याचिका दायर कर कोविड-19 टीकाकरण अभियान के सिलसिले में कथित तौर पर पीएम मोदी की आलोचना करने वाले पोस्टर चिपकाने को लेकर दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर रद्द करने की मांग की थी। उन्होंने दिल्ली पुलिस कमिश्नर को टीकाकरण अभियान से जुड़े पोस्टर/ विज्ञापन/विवरणिका आदि के सिलसिले में कोई और एफआईआर दर्ज नहीं करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि राजधानी में चिपकाए गए पोस्टरों के सिलसिले में कम से कम 25 एफआईआर दर्ज की गईं और 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया।
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