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मणिपुर में 60 विधानसभा सीटों के लिए 27 फरवरी को पहले चरण का और 3 मार्च को दूसरे चरण का मतदान होगा
गोवा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब और मणिपुर में विधानसभा के चुनाव होने हैं। मणिपुर में 60 विधानसभा सीटों के लिए 27 फरवरी को पहले चरण का और 3 मार्च को दूसरे चरण का मतदान होगा। मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुशील चंद्रा ने बताया कि 10 मार्च को पांच राज्यों में मतगणना होगी। कोरोना गाइडलाइन्स के तहत नियमों का पालन करना जरूरी होगा। परिणामों की घोषणा के बाद जश्न की अनुमति नहीं होगी। मतगणना के बाद किसी भी तरह के रोड शो की अनुमति भी नहीं होगी।।
चुनाव आयोग पांचों चुनावी राज्यों का दौरा कर चुका है। सूत्रों का कहना है कि आयोग सभी राज्यों की चुनावी तैयारियों से संतुष्ट है। यह जरूर है कि लोगों को महामारी से बचाने के लिए कड़ी चुनावी बंदिशें लागू होंगी।
2017 में बीजेपी ने किया यहां चमत्कार
राज्य में इस वक्त भाजपा की सरकार है, ऐसे में भाजपा को सत्ता को बचाने की चुनौती है। हालांकि साल 2017 के चुनाव में भाजपा को यहां सिर्फ 21 सीटें ही हासिल हुई थीं, इसी के चलते 60 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा को सरकार बनाने के लिए बहुमत का सहारा लेना पड़ा। सबसे ज्यादा सीटें जीतने वाली कांग्रेस को 28 सीटें जीतने के बाद भी राज्य की सत्ता से बेदखल होना पड़ा।
इस बार भाजपा ने अकेले ही बहुमत का आंकड़ा हासिल करने की ठानी है। मणिपुर भाजपा की कमान शारदा देवी के हाथों में है। राज्य में भाजपा का मुख्य मुकाबला कांग्रेस के साथ ही है। साल 2016 में कांग्रेस का दामन छोड़कर आए एन बीरेन सिंह को गले लगाकार भाजपा ने राज्य में चमत्कार करते हुए 15 साल की कांग्रेस को सत्ता को हटा दिया।
मणिपुर में दलबदल और फेरबदल
पिछली सरकार बनने के बाद मणिपुर में मुद्दों से ज्यादा दलबदल और फेरबदल का बोलबाला रहा। जून से अगस्त के महीनों के बीच मणिपुर में समीकरण बदलने का 2020 में खेल शुरू हुआ था। जून में भाजपा की एन बीरेन सिंह की गठबंधन सरकार से 6 विधायकों ने समर्थन वापस ले लिया था। सरकार अल्पमत में आ गई तो कांग्रेस ने सदन में अविश्वास प्रस्ताव पेश कर दिया।
कांग्रेस ने भले 2017 में 28 सीटें जीती थीं, लेकिन उस वक्त तक उसके पास सिर्फ 24 विधायक ही थे। अगस्त 2020 में मतविभाजन हुआ था, कांग्रेस के 8 विधायक ही सदन से अनुपस्थित हो गए। सदन संख्या 53 थी और भाजपा के पक्ष में 28 वोट पड़े। वहीं कांग्रेस के पास सिर्फ 16 विधायक. ऐसे में कांग्रेस विधायकों ने ही एन बीरेन की सरकार को बचा लिया।
भाजपा- 21
कांग्रेस-28
टीएमसी-1
लोजपा -1
नगा पीपुल्स फ्रंट-4
नेशनल पीपुल्स पार्टी-4
निर्दलीय- 1
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