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हिमाचल प्रदेश में करंट लगने से मौत होने पर अब बिजली बोर्ड मृतक के परिवार वालों को पांच लाख रुपये मुआवजा देगा। तत्काल राहत के तौर पर घटना होने के तीन दिन के भीतर एक लाख रुपये दिए जाएंगे। राज्य विद्युत नियामक आयोग ने यह नया प्रावधान किया है। राजपत्र में शनिवार को जारी अधिसूचना में इस बाबत आम जनता से एक माह के भीतर सुझाव और आपत्तियां मांगी गई हैं। सुझाव और आपत्तियां आने पर उन पर विचार कर अधिसूचना में शामिल किया जाएगा। अगर कोई सुझाव और आपत्ति नहीं आती है तो एक माह बाद यह व्यवस्था लागू हो जाएगी। पहले प्राकृतिक आपदा से मौत होने पर चार लाख रुपये देने की व्यवस्था थी। इसमें करंट से मौत को शामिल नहीं किया गया था।
अब विद्युत नियामक आयोग ने करंट से मौत होने पर तीन दिनों में मुआवजा देने की व्यवस्था की है। इसके लिए पीड़ित परिवार को सरकारी कार्यालयों के चक्कर भी नहीं काटने पड़ेंगे। पुलिस थाना में दर्ज एफआईआर की कॉपी और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर एक लाख रुपये की तत्काल वित्तीय मदद दी जाएगी। बता दें कि प्रदेश में बिजली कनेक्शन बढ़ने पर तारों का जंजाल बढ़ता जा रहा है। करंट की चपेट में आने वालों की संख्या भी बढ़ रही है। वहीं, इंप्लाइज कंपनसेशन एक्ट-1923 के तहत आने वाले कर्मचारियों और ठेकेदार के पास कार्यरत लेबर इस व्यवस्था के दायरे में नहीं आएगी। इन मामलों में पहले से सरकारी नियमों के तहत निर्धारित व्यवस्था से मुआवजा मिलेगा।
करंट से घायल होकर अस्पताल में भर्ती होने वाले व्यक्ति को दस हजार रुपये की फौरी राहत दी जाएगी। सात दिन से ज्यादा अस्पताल में भर्ती रहने पर पांच हजार रुपये अतिरिक्त दिए जाएंगे। 25 दिन तक भर्ती रहने पर 25 हजार रुपये मिलेंगे। करंट लगने पर अगर कोई व्यक्ति दिव्यांग हो जाता है, उसे चार लाख रुपये दिए जाएंगे। कोई व्यक्ति कम दिव्यांग होता है तो उसकी स्थिति के अनुसार उसे एक से दो लाख रुपये की वित्तीय सहायता दी जाएगी। यदि किसी व्यक्ति का पालतू जानवर भी करंट से मरता है तो उन्हें भी मुआवजा मिलेगा।
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