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औषधीय फसल चन्द्रशूर की उन्नत किस्म का हुआ विकास, देश के किसानों को होगा लाभ

Admin Delhi 1
3 Sep 2022 2:38 PM GMT
औषधीय फसल चन्द्रशूर की उन्नत किस्म का हुआ विकास, देश के किसानों को होगा लाभ
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हिसार स्पेशल न्यूज़: चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (CCS Haryana Agricultural University) में विकसित की गई औषधीय फसल चन्द्रशूर की उन्नत किस्म एचएलएस-4 पूरे देश विशेषकर उत्तरी हिस्से में खेती के लिए अनुमोदित की गई है। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज ने यह जानकारी देते हुए बताया कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के उप महानिदेशक (फसल विज्ञान) डॉ. टी.आर. शर्मा की अध्यक्षता वाली फसल मानक, अधिसूचना एवं फसल किस्म अनुमोदन केन्द्रीय उप समिति द्वारा चन्द्रशूर की इस किस्म को समस्त भारत विशेषकर उत्तरी भारत के हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खेती के लिए जारी किया गया है।

प्रो. काम्बोज ने बताया कि इस औषधीय वनस्पति जिसको असारिया, आरिया, हालिम आदि नामों से भी जाना जाता है, को उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात तथा मध्य प्रदेश में व्यवसायिक स्तर पर उगाया जाता है। लेकिन चन्द्रशूर की एचएलएस-4 किस्म के विकसित होने से हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर के किसान भी इसकी खेती कर सकेंगे। उन्होंने बताया इस वनस्पति का औषधी के रूप में प्रयोग होने वाला मुख्य भाग इसका बीज है। राष्ट्रीय स्तर पर एचएलएस-4 किस्म के बीज की पैदावार 10.58 प्रतिशत जबकि उत्तरी भाग में 30.65 प्रतिशत अधिक दर्ज की गई है। इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 306.71 किलोग्राम तेल प्राप्त होता है जोकि चन्द्रशूर की प्रचलित जी ए 1 किस्म के लगभग समान (306.82 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर) है।

चन्द्रशूर के यह हैं औषधीय गुण: हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक डॉ. जीतराम शर्मा ने इसके औषधीय गुणों के बारे में बताया कि आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में चन्द्रशूर के बीज का टूटी हड्डी को जोड़ने, पाचन प्रणाली तथा मन को शांत करने, श्वास संबंधी रोगों, सूजन, मांसपेशियों के दर्द आदि में प्रयोग किया जाता है। बच्चों के शरीर के सही विकास के लिए इसके बीज का पाऊडर बहुत लाभकारी होता है। इसके अतिरिक्त यह बच्चों की लंबाई बढ़ाने में भी मददगार होता है।

इन वैज्ञानिकों ने विकसित की है यह किस्म: चन्द्रशूर की यह किस्म हकृवि के औषधीय, सगंध एवं क्षमतावान फसल अनुभाग के वैज्ञानिकों डॉ. आई.एस. यादव, डॉ. जी.एस. दहिया, डॉ. ओ.पी. यादव, डॉ. वी.के. मदान, डॉ. राजेश आर्य, डॉ. पवन कुमार, डॉ. झाबरमल सुतालिया व डॉ. वंदना की मेहनत का परिणाम है। कुलपति ने इन वैज्ञानिकों को बधाई दी और औषधीय पौधों की उन्नत प्रौद्योगिकी के विकास के लिए प्रयास जारी रखने को कहा। इस अवसर पर विशेष कार्य अधिकारी, डॉ. अतुल ढींगड़ा, कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. एस.के. पाहुजा, मीडिया एडवाइजर डॉ. संदीप आर्य आदि उपस्थित रहे।

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