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Passport: पासपोर्ट से जुड़ी अहम खबर, हाईकोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला
jantaserishta.com
28 Nov 2024 11:51 AM GMT
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सांकेतिक तस्वीर
कहा- पासपोर्ट प्राधिकरण पुलिस की रिपोर्ट से बंधी हुई नहीं है.
जयपुर: पासपोर्ट बनवाने या उसे रिन्यू कराने की कतार में लगे लोगों के लिए खुशखबरी है। राजस्थान हाई कोर्ट ने कहा है कि अगर पुलिस जांच की रिपोर्ट नकारात्मक (Negative) आ जाए, तब भी पासपोर्ट बनने से नहीं रोका जा सकता है। हाल ही में हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि पुलिस सत्यापन की रिपोर्ट निगेटिव होना अपने आप में किसी नागरिक को पासपोर्ट पाने के कानूनी अधिकार से वंचित नहीं करता है। जस्टिस अनूप कुमार ढांड की पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि पासपोर्ट प्राधिकरण पुलिस की रिपोर्ट से बंधी हुई नहीं है।
सावित्री शर्मा बनाम भारत सरकार के मामले में सावित्री शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने अपने फैसले में कहा, "प्रतिकूल पुलिस सत्यापन रिपोर्ट किसी नागरिक को पासपोर्ट पाने के उसके कानूनी अधिकार से वंचित नहीं कर सकती है। यह पासपोर्ट प्राधिकरण को तय करना होता है कि सत्यापन रिपोर्ट में आरोपित व्यक्ति के तथ्यों/पूर्ववृत्त को ध्यान में रखते हुए उसे पासपोर्ट जारी किया जाना चाहिए या नहीं।"
हालांकि, अदालत ने पासपोर्ट विभाग को छूट दी है कि यदि पुलिस सत्यापन में कुछ गड़बड़ मिलता है, तो वे विधि अनुसार कार्रवाई के लिए स्वतंत्र है। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने केन्द्र सरकार और पासपोर्ट अधिकारी को निर्देश दिया कि वह याचिकाकर्ता के पासपोर्ट नवीनीकरण का प्रार्थना पत्र 8 सप्ताह में निष्पादित करे। हाई कोर्ट ने कहा कि किसी भी भारतीय नागरिक को उसके पासपोर्ट प्राप्त करने या नवीनीकरण करने के कानूनी अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने साफ कहा कि पासपोर्ट या यात्रा दस्तावेज जारी करने का निर्णय केवल पासपोर्ट प्राधिकरण की ओर से ही लिया जाना चाहिए।
अदालत ने स्पष्ट किया कि चूंकि पासपोर्ट अधिनियम, 1967 के प्रावधान पासपोर्ट प्राधिकरण को पासपोर्ट जारी करने से पहले जांच करने की अनुमति देते हैं, इसलिए वह यात्रा दस्तावेज चाहने वाले व्यक्ति के पिछले इतिहास के संबंध में पुलिस सत्यापन रिपोर्ट मांग सकता है। पासपोर्ट प्राधिकरण द्वारा ऐसी जांच का उद्देश्य यह तय करने में सक्षम बनाना है कि प्रत्येक विशेष मामले की परिस्थितियों में पासपोर्ट जारी किया जाना चाहिए या अस्वीकार किया जाना चाहिए। हालांकि, न्यायालय ने स्पष्ट किया कि अंत में निर्णय पासपोर्ट प्राधिकरण को ही लेना है, जिसमें जांच रिपोर्ट को ध्यान में रखने का विकल्प भी शामिल है।
मामले में याचिकाकर्ता का पासपोर्ट मई, 2022 तक वैध था। ऐसे में उसने पासपोर्ट नवीनीकरण के लिए विभाग में आवेदन किया था, लेकिन पुलिस वेरिफिकेशन में निगेटिव रिपोर्ट आने पर उसका आवेदन अस्वीकार कर दिया गया था। याचिकाकर्ता ने इसे हाई कोर्ट में चुनौती देते हुए पासपोर्ट नवीनीकरण का आग्रह किया था। पुलिस ने आवेदक की राष्ट्रीयता पर संदेह जताया था। याचिकाकर्ता ने बताया कि उसके दादा नेपाल में रहते थे लेकिन वह जन्म से भारतीय हैं। उसके दो बच्चे भी यहीं हुए और शादी भी यहीं भारत में हुई थी।
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