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बॉम्बे हाईकोर्ट का अहम फैसला: गढ़चिरौली हमले की आरोपी निर्मला उप्पगंती को धर्मशाला में स्थानांतरित करने का आदेश
Deepa Sahu
9 Sep 2021 6:24 PM GMT
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बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को कथित नक्सली नेता निर्मला उप्पगंती को 15 सितंबर तक एक धर्मशाला में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया है।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को कथित नक्सली नेता निर्मला उप्पगंती को 15 सितंबर तक एक धर्मशाला में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया है। निर्मला कैंसर की गंभीर बीमारी के आखिरी चरण से जूझ रही हैं। जस्टिस एसएस शिंदे और जस्टिस एनजे जामदार की बेंच ने गुरुवार को यह आदेश जारी किया। बता दें कि उप्पगंती को 2019 में गढ़चिरौली हुए नक्सली हमले में कथित संलिप्तता के लिए गिरफ्तार किया गया था। आईईडी के जरिए किए गए इस हमले में 15 पुलिसकर्मियों और एक नागरिक की मौत हुई थी।
इससे पहले मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस शिंदे ने मंगलवार को कहा था कि पहले हम इंसान हैं, फिर जज या वकील। जब कोई हमारे सामने आएगा, तो हम सभी पहलुओं पर विचार करेंगे। अनुच्छेद 21 यानी जीवन का अधिकार दोषियों और विचाराधीन कैदियों पर समान रूप से लागू होता है। बस आदेश न्यायिक ढांचे के भीतर होना चाहिए।
उप्पगंती की ओर से दायर की याचिका में कहा गया कि उन्हें 2016 में स्तन कैंसर का पता चला था। महाराष्ट्र पुलिस ने जून 2019 में उन्हें हिरासत में लिया था। इसके बाद टाटा मेमेरियल हॉस्पिटल में उसका इलाज चल रहा है। अब उनकी तबीयत दिन पर दिन बिगड़ती जा रही है। इसलिए उन्होंने तत्काल राहत की मांग करते हुए अदालत का रुख किया, ताकि अंतिम दिनों में उनकी ठीक से देखभाल की जा सके। उन्होंने कोर्ट से इसी मामले में जेल में बंद पति से भी मिलने की इजाजत मांगी।
एडवोकेट युग चौधरी और पायोशी रॉय ने कोर्ट में उप्पगंती का पक्ष रखा, जबकि लोक अभियोजक संगीता शिंदे ने राज्य का प्रतिनिधित्व किया। शिंदे ने याचिका का पुरजोर विरोध करते हुए कहा कि उप्पगंती को जेल में रहना चाहिए और जब भी आवश्यकता हो टाटा में इलाज कराना चाहिए। इस पर रॉय ने कहा कि उप्पगंती अब न तो ठीक तरह से कुछ खा पा रही हैं और न उन्हें ठीक तरह से नींद आ रही है। इसहालत के बीच उन्होंने सात जुलाई को मुझसे से कहा था कि जीवन प्रत्येक क्षण नरक जैसा हो गया है और वह अब दर्द को सहन नहीं की पा रही है।
रॉय ने तर्क दिया कि टाटा मेमोरियल में उन्हें दर्द प्रबंधन के लिए विकिरण दिया गया था। तथ्य यह है कि वह मर रही है। जेल के अंदर उसमें अन्य बीमारियां पनप रही हैं। इसलिए वह मेडिकल जमानत की मांग नहीं कर रही हैं क्योंकि उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है। उनका पति भी जेल में है।
सुनवाई के बाद अदालत ने गुरुवार को निर्देश दिया कि जेल अधिकारियों को धर्मशाला केंद्र और टाटा मेमोरियल सेंटर के साथ समन्वय करना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उप्पगंती अपना चल रहा चिकित्सा उपचार जारी रखे। कोर्ट ने राज्य के अधिकारियों को 15 सितंबर तक उप्पगंती को धर्मशाला में स्थानांतरित करने और वहां आवश्यक पुलिस सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने उप्पगंती को मामले में सह-आरोपी और उनके पति सत्यनारायण रानी से टेलीफोन पर संपर्क करने की अनुमति भी दी। सत्यनारायण फिलहाल मुंबई की आर्थर रोड सेंट्रल जेल में बंद हैं।
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