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1 अप्रैल से शुरू हो रहा है टीकाकरण... जानें पंजीकरण के लिए वेबसाइट के अलावा क्‍या हैं ऑप्‍शन

Deepa Sahu
30 March 2021 5:32 PM GMT
1 अप्रैल से शुरू हो रहा है टीकाकरण... जानें पंजीकरण के लिए वेबसाइट के अलावा क्‍या हैं ऑप्‍शन
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कोरोना वायरस के खिलाफ टीकाकरण अभियान

जनता से रिश्ता वेबडेस्क: नई दिल्ली, कोरोना वायरस के खिलाफ टीकाकरण अभियान में एक अप्रैल से 45 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों को टीका लगाने का काम शुरू हो रहा है। इसके लिए टीका केंद्रों की किसी तरह की कमी न हो, सरकार ने निर्धारित मानदंडों को पूरा करने वाले सभी निजी अस्पतालों को अभियान में जोड़ने पर जोर दिया है। साथ ही राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से आयुष्मान भारत, सीजीएचएस या फिर राज्य की स्वास्थ्य बीमा योजना में सूचीबद्ध निजी अस्पतालों की क्षमता का भी पूरी तरह से इस्तेमाल सुनिश्चित करने को कहा है।

टीकाकरण के लिए एडवांस बुकिंग cowin.gov.in के माध्यम से जा सकती है। यदि आप ऐसा नहीं करना चाहते हैं, तो आप 3 बजे के बाद अपने नजदीकी टीकाकरण केंद्र पर जाकर ऑनसाइट पंजीकरण कर सकते हैं। नीति आयोग के सदस्य और कोरोना वैक्सीन पर गठित टास्क फोर्स के प्रमुख डॉ. वीके पॉल ने कहा कि संक्रमण को रोकने के लिए टीकाकरण सबसे प्रभावी हथियार है। अभी तक के आंकड़ों के मुताबिक कोरोना से होने 80 फीसद मौतें 45 साल से अधिक आयुवर्ग में ही हुई हैं। जाहिर है इस आयुवर्ग के लोगों को वैक्सीन लगाने से कोरोना से होने वाली मौतों पर काफी हद तक रोक लगाई जा सकती है।
उन्होंने यह भी साफ किया कि एक बार इस आयुवर्ग के लोगों को वैक्सीन लग जाने के बाद 45 साल से नीचे के लोगों के लिए भी इसे खोल दिया जाएगा। निजी अस्पतालों में कोरोना वैक्सीन के सेंटर के लिए चार जरूरी मानदंड स्पष्ट करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि शारीरिक दूरी को बनाए रखते हुए बैठने की पर्याप्त जगह होनी चाहिए।
उनके अनुसार तीन कमरों के अस्पताल का, जिसमें एक वैक्सीन लगाने आए लोगों के बैठने के लिए, दूसरा वैक्सीन लगाने के लिए और तीसरा वैक्सीन लगाने के बाद आधे घंटे तक लाभार्थियों को रोकने के लिए हो, वैक्सीन सेंटर के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अलावा ऐसे अस्पताल में वैक्सीन रखने के लिए कोल्ड चेन का होना भी जरूरी है।
भारतीय वैक्सीन के दो से आठ डिग्री सेंटीग्रेड में रखने की जरूरत को देखते हुए एक रेफ्रीजेरेटर पर्याप्त होगा। इसके साथ ही वहां वैक्सीन लगाने वाले और उम्र से संबंधित दस्तावेजों की जांच करने वाले पर्याप्त संख्या में कर्मचारी भी होने चाहिए। चूंकि कोरोना वैक्सीन लगने के बाद कुछ लोगों को दिक्कत का सामना करना पड़ता है। ऐसे लोगों की देखभाल का अस्पताल में प्रबंध होना जरूरी है।
अभी निजी अस्पतालों का योगदान कम
डॉ. पॉल ने बताया कि 20 हजार से अधिक अस्पताल वैक्सीन सेंटर के रूप में विकसित करने योग्य थे, लेकिन इनमें से प्रतिदिन औसतन छह हजार अस्पतालों में ही वैक्सीन लगाया जा सका है। उन्होंने कहा कि देश में लगने वाले कुल टीके का महज 16.53 फीसद ही निजी अस्पतालों में लगाया जा सका है। वहीं, राजेश भूषण ने कहा कि कुछ राज्यों ने टीकाकरण में निजी अस्पतालों के नेटवर्क का बेहतर इस्तेमाल किया है। छत्तीसगढ़ में 50.30 फीसद, तेलंगाना में 48.39 फीसद और दिल्ली में 43.11 फीसद टीके निजी अस्पतालों में लगे हैं।
फिलहाल घर पर टीका नहीं
उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि अभी घर पर कोरोना रोधी टीका लगाने की अनुमति देने की कोई योजना नहीं है। राजेश भूषण ने कहा कि यूनिवर्सल टीकाकरण अभियान के तहत इंजेक्शन के करोड़ों बच्चों और गर्भवती महिलाओं को टीका लगाने का भारत के पास लंबा अनुभव है। लेकिन कभी इन्हें घर पर जाकर नहीं लगाया गया। इसके अलावा कोरोना वैक्सीन लगने के बाद लाभार्थी के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव की देखरेख भी जरूरी है, जो घर पर नहीं हो सकती है।
उन्‍होंने कहा था कि ये फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि हमारे देश में कोरोना की कुल मौतों की 88 फीसद मौतें 45 वर्ष और उससे ​अधिक उम्र के लोगों की हैं। नीति आयोग के सदस्‍य डा. वीके पॉल ने कहा कि हमारे पास टीकाकरण कार्यक्रम के लिए टीके की पर्याप्त आपूर्ति है, जिसे आगे लाया गया है। वैक्सीन आपूर्ति की कोई कमी नहीं है।
ज्ञात हो कि भारत में बीते 24 घंटे के दौरान कोरोना के 56,211 नए मामले सामने आए हैं और 271 लोगों की मौत हुई है। हालांकि इस दौरान 37,028 लोग कोरोना संक्रमण से मुक्त हुए हैं। दिल्ली में आज कोरोना के 992 नए मामले रिपोर्ट हुए हैं और 4 लोगों की मौत हुई है। दिल्‍ली में कुल केस 660611 हुए हैं और अब तक 11016 की मौत हो चुकी है।


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