नई दिल्ली। भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) ने केरल सरकार को बकरीद से पहले प्रतिबंधों में ढील देने के खिलाफ चेतावनी दी है क्योंकि राज्य में कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. रविवार को जारी एक बयान के अनुसार, भारत में डॉक्टरों की शीर्ष संस्था ने 'सुशिक्षित राज्य केरल' के फैसले को 'स्थिति को बदतर' बनाने वाला करार दिया. कई विशेषज्ञों ने पहले ही अपने बयानों में साफ कर दिया है कि 'अगर उचित कदम नहीं उठाए गए तो महामारी की तीसरी लहर अपरिहार्य है'. डॉक्टरों के शीर्ष संगठन ने कहा कि अगर केरल सरकार इस फैसले को वापस नहीं लेती, तो वह उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाएगा.
आईएमए के अध्यक्ष डॉ जे.ए. जयलाल और महासचिव डॉ जयेश लेले द्वारा हस्ताक्षरित बयान में संस्था ने कहा, 'कोरोना वायरस के मामलों के बढ़ने के बीच आईएमए को यह देखकर दुख होता है कि केरल सरकार ने बकरीद के धार्मिक समारोहों के बहाने राज्य में लागू पाबंदियों में राहत देने आदेश जारी किया है. चिकित्सा आपातकाल के इस समय में यह कद कदम बिल्कुल अनुचित है और इसे कहीं से भी सही नहीं ठहराया जा सकता. जब जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश और उत्तरांचल जैसे कई उत्तरी राज्यों ने पारंपरिक और लोकप्रिय तीर्थयात्राओं को सार्वजनिक सुरक्षा के लिहाज से बंद कर दिया है, तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सुशिक्षित राज्य केरल ने ये प्रतिगामी निर्णय लिए हैं.'
आईएमए ने अपने बयान में कहा, 'टीकाकरण की निरंतर प्रगति के साथ, हमारे देश के प्रत्येक नागरिकों से इस महत्वपूर्ण समय में किसी भी रूप में सामूहिक समारोहों से बचने जैसे जिम्मेदार कर्तव्य की उम्मीद की जाती है. पाबंदियों में राहत के बाद पर्यटन स्थलों पर उमड़ी भीड़ को रोकने और सामूहिक सभाओं द्वारा तीसरी लहर को न्योता नहीं देने के लिए प्रधानमंत्री के सक्रिय दूरदर्शी आह्वान के बाद, कई प्रस्तावित धार्मिक और तीर्थ यात्राएं रद्द कर दी गईं.' चिकित्सा निकाय ने कहा कि देश के व्यापक हित और मानवता की भलाई में, आईएमए दृढ़ता से मांग करता है कि आदेश को वापस लिया जाए और कोविड मानदंडों के उल्लंघन को कतई बर्दाश्त न किया जाए.
आईएमए ने कहा, 'केरल और महाराष्ट्र जैसे कुछ राज्यों को छोड़कर जहां अभी भी हमारे पास कोरोना मामलों की संख्या अधिक है, सरकार और आधुनिक चिकित्सा बिरादरी की समर्पित और प्रतिबद्ध सेवाओं की बदौलत पूरे देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर अपने अंतिम चरण में है.' इसने यह भी कहा कि भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने इस मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लिया है और सभी को निर्देश दिया है कि वे संभावित तीसरी लहर को कम करने के लिए सतर्क भूमिका निभाएं.