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आईआईटी रुड़की और डाईकी इंडिया ने सयुंक्त रूप से वेस्टवाटर ट्रीटमेंट विषय पर किया वर्कशॉप का आयोजन

Nilmani Pal
6 Aug 2022 8:44 AM GMT
आईआईटी रुड़की और डाईकी इंडिया ने सयुंक्त रूप से वेस्टवाटर ट्रीटमेंट विषय पर किया वर्कशॉप का आयोजन
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दिल्ली। भारत में अपशिष्ट जल शोधन ( वेस्टवाटर ट्रीटमेंट ) के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। और इसके लिए पर्याप्त एवं सक्षम व्यवस्था से पानी की बर्बादी को रोकने में मदद मिल सकती है। वेस्टवाटर ट्रीटमेंट को लेकर आईआईटी रुड़की और डाईकी इंडिया ने सयुंक्त रूप से इंडिया हैबिटेट सेंटर में एक वर्कशॉप- एडवांस ऑनसाईट वेस्टवाटर मैनेजमेंट सिस्टम ( जुकासू ) आयोजित किया गया। इस वेस्टवाटर ट्रीटमेंट वर्कशॉप को नमामि गंगे और ब्यूरो ऑफ़ इंडियन स्टैण्डर्ड का भी समर्थन प्राप्त था। कार्यक्रम की शुरुआत सबके स्वागत के साथ दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। इस अवसर पर इस विषय के विशेषज्ञों ने अपने-अपने विचार साझा किये एवं अपशिष्ट जल शोधन के बारे में विस्तृत चर्चा की। आयोजन में नमामि गंगे के महानिदेशक श्री जी. अशोक कुमार, जापानी एम्बेसी के योशिदा मोएज, आईआईटी रुड़की के प्रो. अबसार अहमद काज़मी, डाईकी इंडिया के एमडी रिओ वाजा, डाईकी इंडिया के डायरेक्टर कमल तिवारी, बीआईएस के एडीजी डॉ. संजय पन्त, एम3एम फाउंडेशन के प्रेसिडेंट ऐश्वर्य महाजन एवं अन्य गणमान्य लोगों के साथ ही इस क्षेत्र में कार्य करने वाले लोग उपस्थित रहे। जुकासू एक जापानी शब्द है जिसका मतलंब है शोधन टैंक। ऑनसाइट अपशिष्ट जल प्रबंधन प्रणाली (जुकासू) एक जापानी तकनीक है। यह एक ऐसी प्रणाली है जिससे अपशिष्ट जल का उपचार ( वेस्टवाटर ट्रीटमेंट ) किया जाता है जिससे यह पुन: उपयोग में लाया जा सके।

19 मार्च को, जापान में जल शक्ति मंत्रालय और पर्यावरण मंत्रालय ने दोनों प्रधानमंत्री की उपस्थिति में जुकासू प्रौद्योगिकी से संबंधित एमओसी का आदान-प्रदान किया गया था। यह तकनिकी जापान की है, भारत एवं जापान के मजूबत मैत्री संबंधों के तहत इस तकनिकी को भारतीय प्रणाली के अनुसार परीक्षण करने के लिए आईआईटी रुड़की को सौंपा गया है। परिक्षण के बाद इसके परिणाम ने वेस्टवाटर ट्रीटमेंट के क्षेत्र में एक क्रन्तिकारी बदलाव की शुरुआत कर दी है।

भारत अपने यहाँ विभिन्न स्रोतों से निकलने वाले अपशिष्ट जल के 30% के शोधन में ही सक्षम है। नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार मांग और उपलब्धता के बीच बड़े अंतर, घटते भूजल संसाधनों, खाद्य और ऊर्जा आवश्यकताओं में वृद्धि के कारण भारत जल संकट का सामना कर रहा है, यह अंतर 2030 तक गंभीर होगा।

डाईकी इंडिया के डायरेक्टर कमल तिवारी ने इस विषय पर विस्तार से बताते हुए कहा कि, " भारत अपने यहाँ विभिन्न स्रोतों से निकलने वाले अपशिष्ट जल के 30% के शोधन में ही सक्षम है। आप देख सकते हैं हमारे दैनिक जीवन में पानी की जरुरत और अपशिष्ट पानी की मात्रा कितनी है। यदि इस अपशिष्ट पानी को ट्रीटमेंट के बाद दुबारा उपयोग में लायें तो हम सब मिलकर कितना पानी बचायेंगे. जुकासू जापान की ऐसी ही एक तकनिकी है जो वेस्टवाटर मैनेजमेंट के बहुत प्रभावी है। डाइकी एक्सिस इंडिया ने भारतीय ऑनसाइट अपशिष्ट जल उपचार क्षेत्र के लिए एक समग्र विकास मॉडल की रूपरेखा तैयार की है, जो पैकेज्ड सीवेज ट्रीटमेंट सिस्टम पर बीआईएस मानकों के अनुरूप है। हमारा प्रयास है कि भारत में अपशिष्ट जल प्रबंधन के लिए जुकासू तकनिकी को रणनीतिक रूप से आगे बढ़ाएं।"

इसके बाद श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के अकादमिक डीन प्रो. ज्योति राणा द्वारा एक प्रस्तुति दी गई जिसमें उन्होंने इस जल संरक्षण उद्यम को सुविधाजनक बनाने के लिए कौशल-विकास और प्रशिक्षण की आवश्यकता पर बल दिया।

जुकासू, जापान सरकार के पर्यावरण मंत्रालय द्वारा लाया गया एक कांसेप्ट और टेक्नोलॉजी है। यह टेक्नोलॉजी अपशिष्ट जल को पुन: उपयोग हेतु शोधन कर स्वच्छ बनाती है। अपशिष्ट पानी को पुन: उपयोग के लिए स्वच्छ बनाने की प्रक्रिया से जल संकट एवं पर्यावरण प्रदुषण इत्यादि जैसी समस्याओं को कम करने में मदद मिलेगी।

कार्यक्रम का समापन आगंतुको को धन्यवाद ज्ञापन देने के साथ संपन्न हुआ। जापान का जुकासू, एक बेहतरीन कौशल विकास कार्यक्रम है जो 60 वर्षों में विकसित हुआ है। यह एक ऐसी प्रणाली है जिससे अपशिष्ट जल का उपचार ( वेस्टवाटर ट्रीटमेंट ) किया जाता है जिससे यह पुन: उपयोग में लाया जा सके।

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