भारत
पांच लाख वर्षों की समुद्री खोज के लिए IIT के प्रोफेसर का चयन
jantaserishta.com
30 Aug 2023 12:11 PM GMT
x
नई दिल्ली: पृथ्वी के जन्म व विकास समेत पिछले पांच लाख वर्षों के समुद्री स्तर और जलवायु से जुड़े महत्वपूर्ण डेटासेट का पता लगाया जा रहा है। इसके लिए भारत से आईआईटी के एक प्रोफेसर का चयन किया गया है।
पृथ्वी विज्ञान के सहायक प्रोफेसर प्रो. पंकज खन्ना को इस अंतर्राष्ट्रीय महासागर खोज कार्यक्रम के लिए चुना गया है। आईआईटी गांधीनगर के प्रोफ़ेसर 'हवाई' में डूबी मूंगा चट्टानों की खोजयात्रा के ऑफशोर चरण में भाग लेने वाले भारत के एकमात्र शोध वैज्ञानिक हैं। प्रो. खन्ना दुनिया भर के अग्रणी अनुसंधान वैज्ञानिकों की 31 सदस्यीय टीम का हिस्सा हैं। आईआईटी के मुताबिक वह हमारे ग्रह के बारे में अधिक जानने के लिए हवाई द्वीप के आसपास जीवाश्म मूंगे की चट्टानों की एक श्रृंखला की ड्रिलिंग और अध्ययन करके वैश्विक समुद्र-स्तर परिवर्तन और वैश्विक जलवायु परिवर्तन के बीच संबंधों की जांच करेंगे।
अंतर्राष्ट्रीय महासागर खोज कार्यक्रम भारत सहित 21 देशों का एक अंतर्राष्ट्रीय समुद्री अनुसंधान सहयोग है। इसकी स्थापना समुद्र तल के तलछटों और चट्टानों को एकत्रित और अध्ययन करके और उप-समुद्र तल के वातावरण की निगरानी करके पृथ्वी के इतिहास, संरचना, और गतिशीलता का पता लगाने के लिए की गई थी।
इसका एक हिस्सा, यूरोपियन कंसोर्टियम फॉर ओशन रिसर्च ड्रिलिंग, मिशन-विशिष्ट प्लेटफार्मों, जैसे हवाई के अपतटीय डूबी हुई मूंगे की चट्टानों की ड्रिलिंग के लिए वर्तमान “खोजयात्रा 389”, को लागू करने के लिए है। सह-मुख्य वैज्ञानिक प्रो. जोडी वेबस्टर, सिडनी विश्वविद्यालय, ऑस्ट्रेलिया और प्रो. क्रिस्टीना रवेलो, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, सांताक्रूज, यूएसए के नेतृत्व में वैज्ञानिक टीम, आधुनिक सबमर्सिबल ड्रिलिंग सिस्टम - बेन्थिक पोर्टेबल रिमोटली ऑपरेटेड ड्रिल और अत्याधुनिक उपकरणों से सुसज्जित जहाज वेलोर पर सवार होगी। आईआईटी का कहना है कि वे 'हवाई' द्वीप के आसपास जीवाश्म मूंगा चट्टानों की एक श्रृंखला में, समुद्र तल के नीचे 110 मीटर की अधिकतम मोटाई तक ग्यारह स्थानों पर संशोधन करेंगे।
पृथ्वी के जलवायु इतिहास की महत्वपूर्ण समयावधियों को कवर करते हुए, इन प्राकृतिक जीवाश्म चट्टान अभिलेखागार में मौजूद जानकारी वैज्ञानिकों को बहुत अधिक रिज़ॉल्यूशन पर समुद्र-स्तर में परिवर्तन का पुनर्निर्माण करने में मदद करेगी। इस खोजयात्रा 389 के मुख्य लक्ष्य पिछले पांच लाख वर्षों में समुद्र के स्तर में उतार-चढ़ाव की सीमा को मापना और यह जांच करना कि समय के साथ समुद्र का स्तर और जलवायु क्यों बदलती है। साथ की यह जांच भी की जाएगी कि मूंगा चट्टानें अचानक समुद्र स्तर और जलवायु परिवर्तन पर कैसे प्रतिक्रिया करती हैं।
समय के साथ 'हवाई' की वृद्धि और गिरावट के वैज्ञानिक ज्ञान में सुधार करना भी इसका उद्देश्य है। प्रोफेसर पंकज खन्ना ने कहा, “अनुसंधान क्रूज पिछले पांच लाख वर्षों के लिए, जिसके लिए बहुत सीमित रिकॉर्ड हैं, पहले के समुद्र के स्तर और जलवायु में गहराई से गोता लगाने के लिए महत्वपूर्ण डेटासेट प्रदान करेगा। वैज्ञानिक ड्रिलिंग के माध्यम से एकत्र की गई चट्टानें अचानक जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने वाले तंत्र पर महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेंगी। मैं हमारी समझ का विस्तार करने के लिए हवाई में डूबी हुई मूंगे की चट्टानों में हमारे लिए क्या छिपा है इसके लिए उत्सूक हूं।”
jantaserishta.com
Next Story