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IIT दिल्ली के शोधकर्ताओं का दावा - महज 90 मिनट में ओमिक्रॉन वेरिएंट की पहचान

Rani Sahu
13 Dec 2021 2:57 PM GMT
IIT दिल्ली के शोधकर्ताओं का दावा - महज 90 मिनट में ओमिक्रॉन वेरिएंट की पहचान
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कोरोना वायरस (Coronavirus) के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन (Omicron) की जांच में करीब 3 दिन का समय लगता है

कोरोना वायरस (Coronavirus) के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन (Omicron) की जांच में करीब 3 दिन का समय लगता है. लेकिन आईआईटी दिल्ली (IIT Delhi) के रिसर्चर ने महज 90 मिनट के अंदर इस वेरिएंट की पहचान करने का दावा किया है. फिलहाल दुनियाभर में जिनोम सिक्वेंसिंग के जरिए ओमिक्रॉन वेरिएंट की पुष्टि 3 दिनों में होती है. आईआईटी दिल्ली के रिसर्चर ने दावा किया है कि यह पद्धति स्पेसिफिक म्यूटेशन की पहचान पर आधारित है, जो कि ओमिक्रॉन वेरिएंट और अन्य मौजूदा वेरिएंट में मौजूद होते हैं.

आईआईटी दिल्ली के शोधकर्ताओं ने कहा कि, आरटी-पीसीआर जैसी इस पद्धति का इस्तेमाल करके 90 मिनट के अंदर ओमिक्रॉन वेरिएंट की पहचान करना संभव है. रैपिड स्क्रीनिंग के तौर पर इस पद्धति का उपयोग करके इस वेरिएंट से संक्रमित लोगों की पहचान करके उन्हें आइसोलेशन में रखा जा सकता है. इस पद्धति को दिल्ली स्थित भारतीय प्रोद्योगिक संस्थान के कुसुमा स्कूल ऑफ बायोलॉजिकल साइंसेज ने विकसित किया है.
इस तरह की जाती है जांच
इंस्टीट्यूट ने इस बारे में आधिकारिक बयान जारी करते हुए कहा कि, इस मेथड के जरिए पहले एस जीन में होने वाले यूनिक म्यूटेशन का पता लगाया जाता है जो कि ओमिक्रॉन वेरिएंट या कोविड-19 के अन्य मौजूदा वेरिएंट में उपस्थित होते हैं और इनकी जांच रीयल टाइम पीसीआर के जरिए की जा सकती है. इस जांच विधि में सिंथेटिक डीएनए फ्रेग्मेंट का इस्तेमाल किया जाता है.
अपनी इस जांच पद्धति के लिए आईआईटी दिल्ली ने एक इंडियन पेटेंट एप्लीकेशन दायर की है और इसके निर्माण के लिए इंडस्ट्री पार्टनर के साथ बातचीत की प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी की जा रही है. इससे पहले आईआईटी दिल्ली को इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च से कोविड-19 टेस्ट के लिए आरटी-पीसीआर किट को मंजूरी मिल चुकी है और इस किट को मार्केट में लॉन्च किया जा चुका है.
आईआईटी दिल्ली ने इससे पहले कोविड-19 की पहचान करने के लिए एक किट को विकसित किया है, जिसे बिना किसी एक्सपर्ट के दखल के इस्तेमाल किया जा सकता है. पेप्टीड आधारित इस टेस्ट में कोविड-19 एंटीबॉडीज जिन्हें एलीसा कहा जाता है इसकी मदद से यह निर्धारित होता है कि किसी व्यक्ति के रक्त में कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडीज है या नहीं आईआईटी दिल्ली के अनुसार, इस टेस्ट के नतीजों की मदद से उन लोगों की पहचान की जा सकती है जिनमें कोविड-19 से जुड़ी एंटीबॉडीज विकसित हो गई है और वे संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए रक्त दान करना चाहते हैं.
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