x
सूरत: गुजरात की सूरत जेल में कैदियों के बीच एक इफ्तार पार्टी का आयोजन किया गया. इसमें बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव सूफी संत महबूब अली बावा भी मौजूद रहे थे. जिनकी मौजूदगी में रोज़ेदार मुस्लिम क़ैदियों ने अन्य धर्म के क़ैदियों के साथ मिलकर रोज़ा खोला था.
इस मौके पर बीजेपी नेता बावा ने मोहन भागवत के बयान का ज़िक्र करते हुए बताया, संघ प्रमुख ने आपसी भाईचारे को बनाए रखने की जो अपील की है, उसी के संदर्भ में सूरत की जेल का कार्यक्रम रखा गया जिसमें हर धर्म के लोग शामिल हुए.
सूरत की लाजपोर सेंट्रल जेल में क़रीबन 3,000 कैदी हैं, जिनमें 70 से अधिक महिला कैदी भी शामिल हैं. इसके अलावा तकरीबन 450 मुस्लिम कैदी भी जेल में बंद हैं. इस इफ्तार पार्टी में शामिल कैदियों के बीच एकता और सद्भावना की अभूतपूर्व भावना देखी गई.
जेल के आईजीपी मनोज निनामा ने बताया, लाजपोर सेंट्रल जेल में श्रावण के पवित्र महीने में हिंदू कैदियों के लिए अलग से व्यवस्था की जाती है, तो रमजान के महीने में मुस्लिम कैदियों के लिए भी व्यवस्था की जाती है, और यह पिछले कुछ वर्षों से हर साल किया जाता है. रमजान महीने में सेहरी के लिए खाद्य सामग्री, जबकि सुबह सामुदायिक इफ्तार के लिए फल, पकौड़े और अन्य व्यंजन दिए जा रहे हैं. इसके अलावा शरबत, बर्फ और अन्य सामान वितरित किया जाता है.
श्रावण माह हो या रमज़ान माह, सूरत के मुस्लिम समाजसेवी और कारोबारी फारूक पटेल सूरत जेल प्रशासन को खाद सामग्री और फल फ्रूट मुहैया करवाते हैं. जेल प्रशासन की इफ़्तार पार्टी में फारूक पटेल भी मौजूद रहे थे. सूरत की लाजपोर सेंट्रल जेल के कैदियों ने जाने अनजाने में एक संदेश भी दिया है कि भले ही हम जेल में हैं, लेकिन हम दोनों समुदायों के लोगों के साथ शांति से रह रहे हैं.
विदित हो कि इन दिनों रमजान का पवित्र महीना चल रहा हैं. इस्लामिक वर्ष के नौवें महीने में मुसलमान सुबह से शाम तक उपवास करते हैं. इस दौरान मुस्लिम धर्मावलंबी सुबह उठकर सेहरी करते हैं और फिर शाम को रोजा तोड़ने से पहले कुछ भी नहीं खाते-पीते. बता दें कि शाम के भोजन को इफ्तार कहा जाता है.
jantaserishta.com
Next Story