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बीजेपी की सियासी रणनीति देखेंगे तो परिवारवाद का मुद्दा 'लुक साउथ' दिखाई देगा : मुरलीधर राव

Nilmani Pal
6 Aug 2022 6:54 AM GMT
बीजेपी की सियासी रणनीति देखेंगे तो परिवारवाद का मुद्दा लुक साउथ दिखाई देगा : मुरलीधर राव
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एमपी। बीजेपी के लिए सियासी रणनीति तय करने वालों का मानना है कि पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी की 'परिवारवाद' के खिलाफ छेड़ी मुहिम का असर कुछ सालों में दक्षिण के राज्यों की राजनीति में दिखाई देने लगेगा. बीजेपी ने पहले ही कांग्रेस को परिवारवाद के मुद्दे पर घेर कमजोर कर दिया है. यह कहना है मध्य प्रदेश बीजेपी के प्रभारी मुरलीधर राव का.

बीजेपी के एमपी प्रभारी मुरलीधर राव ने लखनऊ में बीजेपी और पीएम मोदी की परिवारवाद के खिलाफ जारी मुहिम पर चर्चा की. परिवारवाद के खिलाफ पीएम मोदी की मुहिम का असल सियासी लक्ष्य कहां है? मुरलीधर राव ने इस पर भी राय रखी है. मुरलीधर राव ने कहा है कि प्रधानमंत्री विकास को लेकर लुक ईस्ट पॉलिसी की बात करते हैं लेकिन अगर आप बीजेपी की सियासी रणनीति देखेंगे तो परिवारवाद का मुद्दा 'लुक साउथ' दिखाई देगा.

बीजेपी परिवारवाद का मुद्दा उठाकर कांग्रेस या फिर सिर्फ गांधी परिवार को नहीं घेरे रखना चाहती है. कांग्रेस अब बीजेपी के परिवारवाद मुद्दे के रडार से बाहर हो रही है और अब बीजेपी का निशाना दक्षिण भारत के तमिलनाडु, तेलंगाना आंध्र प्रदेश कर्नाटक और पूर्वी भारत के बंगाल पर है. दक्षिण के चार राज्यों तमिलनाडु, तेलंगाना आंध्र प्रदेश और कर्नाटक की सियासत में वंशवाद की राजनीति का बोलबाला है. बीजेपी का 'प्लान परिवारवाद' उत्तर भारत की तरह दक्षिण में बीजेपी की पैठ बनाने में मदद करेगा. मुरलीधर राव के मुताबिक परिवारवाद के खिलाफ बीजेपी के बनाये गए माहौल का फायदा दक्षिण की राजनीति में मिलेगा.

बीजेपी में परिवारवाद पर मुरलीधर राव ने अपनी राय रखी. उन्होंने कहा कि भाजपा के किसी किसी बड़े नेता के बेटे का विधायक या संसद बन जाना परिवाद की श्रेणी में नहीं आता. पीएम का परिवार का सदस्य ही पीएम और सीएम का बेटा ही सीएम बने ऐसा बीजेपी में संभव नहीं है, अगर आप इन परिवारवादी पार्टियों में देखे तो ऐसा ही हुआ है. बीजेपी का मानना है कि सन 2000 के बाद जन्मे मतदाता परिवारवाद से खुद को नहीं जोड़ पाते हैं या ऐसे सियासी परिवार जिनका रसूख काफी बड़ा था उनसे नई पीढ़ी नहीं जुड़ पाती और क्षेत्रीय दलों के परिवारवाद पर युवा सवाल उठाने लगे हैं. द्रमुक का परिवारवाद, जगन रेड्डी का परिवारवाद, एनटीआर का परिवार और देवगौड़ा का परिवार अब धीर-धीरे अपनी चमक खोता जा रहा है.

नए युवा वोटर अब सवाल पूछने लगे हैं. नए वोटरों के परिवारवाद पर उठाए जा रहे सवालों से ये पार्टियां असहज हो रही हैं और यही बीजेपी की रणनीति है. ऐसे में मतदाताओं का यह वर्ग बीजेपी के लिए नए वोट बैंक के तौर पर उभरा है. उन्होंने आगे कहा कि परिवारवाद का मुद्दा आने वाले कुछ सालों और दशकों में अब दक्षिण में बीजेपी के लिए तुरुप का इक्का साबित हो सकता है और बीजेपी के थिंक टैंक ने अपनी ऊर्जा-अपनी रणनीति इस तरह लगानी शुरू कर दी है.


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