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ICMR ने दिल्ली HC को बताया, ब्लैक फंगस के मरीजों पर एम्फोटेरिसिन B दवा ही नहीं उसका फॉर्मूलेशन भी कारगर
Deepa Sahu
4 Jun 2021 11:52 AM GMT
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कोरोना संक्रमित या रिकवर होने वालों लोगों में ब्लैक फंगस का संक्रमण अब काफी देखने को मिल रहा है.
कोरोना संक्रमित या रिकवर होने वालों लोगों में ब्लैक फंगस का संक्रमण अब काफी देखने को मिल रहा है. ऐसे मामले देश में तेजी से बढ़ रहे हैं जिसके चलते बाजार में इसकी दवा एम्फोटेरिसिन B को लेकर भारी कमी देखने को मिल रही है. वहीं ब्लैक फंगस के मरीजों के इलाज के लिए एम्फोटेरिसिन B दवा के अलावा अब इसका फॉर्मूलेशन भी कारगर है. ICMR ने दिल्ली HC को इस बात की जानकारी दी हैं.ICMR ने दिल्ली HC को बताया है कि एम्फोटेरिसिन B के अन्य फॉर्मूलेशन भी उपलब्ध हैं और उनका उपयोग इंफेक्शन के प्रभावों को कम करने के लिए अन्य दवाओं के साथ मिलाकर किया जाता है.
केंद्र की ओर से पेश अधिवक्ता कीर्तिमान सिंह ने कहा कि जिन राज्यों में ब्लैक फंगस के मामलों के लिए सही दवा उपलब्ध नहीं है. वे भी म्यूकोर्मिकोसिस का इलाज कर रहे हैं. ICMR ने दिल्ली HC को ये भी बताया,राष्ट्रीय टास्क फोर्स ने म्यूकोर्मिकोसिस के इलाज के लिए रिसर्च की है जिसके बाद पता चला है एम्फोटेरिसिन बी कई फॉर्मूलेशन में उपलब्ध है.
कौन सा फॉर्मूलेशन कहां पर करेगा काम
लिपोसोमल एम्फोटेरिसिन बी उन रोगियों के इलाज के लिए है जिनके मस्तिष्क में म्यूकोर्मिकोसिस या ब्लैक फंगस हैं. एम्फोटेरिसिन बी – डीऑक्सीकोलेट एम्फोटेरिसिन B का दूसरा फॉर्मूलेशन है जिसका इस्तेमाल किडनी के संक्रमण को दूर करने के लिए किया जाता है. इसे नेफ्रोटॉक्सिसिटी को कम करने के लिए अन्य तकनीकों के साथ इस्तेमाल किया जा सकता है.
जानकारी के मुताबिक, अब ऐसी ही किल्लत म्यूकोरमाइकोसिस या ब्लैक फंगस के इलाज में इस्तेमाल किए जाने वाले इंजेक्शन लाइपोसोमल एम्फोटेरिसिन -बी की शुरू हो गई है. यह इंजेक्शन अचानक बाजार से गायब हो गया है. पहले तो यह बाजार में मिल नहीं रहा और अगर कहीं मिल भी रहा है तो 2000 रुपए के इस इंजेक्शन के 11,000-12,000 रुपए वसूले जा रहे हैं.
एम्फोटेरेसिन बी के लिए विशेषज्ञ की राय
विशेषज्ञ कहते हैं एम्फोटेरेसिन बी एहतियात के साथ प्रयोग की जाती है, जब अन्य एंटी फंगल काम नहीं करते तब इसे इस्तेमाल करते हैं. इसे प्रॉपर हाईड्रेशन के साथ देते हैं. एम्फोटेरेसिन बी से किडनी खराब होने का खतरा बना रहता है, क्योंकि क्रिएटिनिन बढ़ने से किडनी पर असर पड़ना शुरू हो जाता है. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ने 954 एम्फोटेरेसिन-बी इंजेक्शन मरीजों के उपचार के लिए जारी किए. इनमें से 486 सरकारी मेडिकल कॉलेजों और 468 निजी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों को भेजे हैं. सरकार ने दावा किया है कि स्टॉक में 2048 इंजेक्शन हैं और 3120 इंजेक्शन केंद्र सरकार से जल्द मिलेंगे.
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