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भिवानी: वैवाहिक संबंधों में खटास के चलते करीब चार साल पहले अपने जीजा की हत्या करने के चार दोषियों और षड्यंत्र में शामिल रही पत्नी व उसके मामा को भिवानी की कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। मृतक जिले के बुसान गांव का निवासी था, जबकि सभी हत्यारे राजस्थान के चुरू व चरखी दादरी निवासी हैं। एडीजे रजनी यादव ने सजा मुकर्रर करते हुए लिखा कि छोटे उद्देश्य व वैवाहिक संबंध बिगड़ने के लिए रविंद्र की जघन्य हत्या की साजिश रची गई। ऐसे में आजीवन कारावास देकर ही ऐसे अपराध को घटित होने से रोका जा सकता है।
जानकारी के अनुसार बुसान गांव निवासी रविंद्र की शादी साल 2011 में राजस्थान के चुरू जिले की राजगढ़ तहसील के गांव हरपालू निवासी प्रमोद के साथ हुई थी। रविंद्र के पिता होशियार सिंह सेवानिवृत्त सैन्य कर्मी होने के साथ ही हॉर्ट पेशेंट हैं। चार बहनों का इकलौता भाई रविंद्र शादी के बाद एक बेटे का पिता भी बन चुका था। साल 2018 में हत्या के समय 27 वर्षीय रविंद्र का बेटा पांच साल का था। बहल पुलिस थाना में 23 अगस्त 2018 को दर्ज मामले के अनुसार रविंद्र के साथ उसकी पत्नी प्रमोद की अनबन होती रहती थी। वैवाहिक रिश्तों में यही खटास रविंद्र की जान पर भारी पड़ गई। 22 अगस्त को प्रमोद ने अपने भाई अनिल को फोन पर उनके आपसी झगड़े की सूचना दी और रविंद्र को सबक सिखाने के लिए बुला लिया। अनिल अपने चचेरे भाई मंजीत व दोस्त अजय कुमार व अनिल को लेकर बुसान पहुंच गया। खेत में मौजूद रविंद्र को गाड़ी में डालकर वे अपने गांव हरपालू ले गए। जबकि, प्रमोद बस में सवार होकर अपने मायके पहुंच गई।
शिकायतकर्ता कुलदीप की ओर से मामले की पैरवी करने वाले एडवोकेट सुनील चौधरी ने बताया कि हरपालू गांव के खेत में रविंद्र, मंजीत, अजय कुमार व अनिल ने रविंद्र की बुरी तरह पिटाई की। जिसकी वजह से उसकी जान चली गई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में रविंद्र के शरीर पर 15-20 जगह चोटों के निशान भी मिले। रविंद्र की हत्या के षड्यंत्र में पत्नी प्रमोद के अलावा प्रमोद के मामा गांव कारी धारनी, जिला चरखी दादरी निवासी कुलदीप को भी आरोपी बनाया गया। मामला दर्ज करने के बाद पुलिस की जांच शुरू हुई तो बतौर जांच अधिकारी एक डीएसपी ने आरोपी कुलदीप को क्लीन चिट दे दी। लेकिन, साइंटिफिक सबूत कुलदीप को आरोपी बनाने के लिए पुख्ता थे, तो दोबारा से जांच कराई गई, जिसमें उनकी संलिप्तता उजागर हो गई।
एडवोकेट सुनील चौधरी के अनुसार यह मामला तभी से अदालत में चल रहा था और 6 आरोपियों में से 5 की जमानत को चुकी थी, लेकिन एक आरोपी अनिल अभी भी ज्यूडिशियल कस्टडी में ही चल रहा था। इस मामले में विभिन्न सबूतों व तथ्यों पर गौर करते हुए एडीजे रजनी यादव ने हत्या व हत्या के षड्यंत्र का दोषी सभी 6 आरोपियों को ठहराते हुए उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुना दी।
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