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पति को एक महीने तक रहना होगा ससुराल में ही, कोर्ट ने सुनाया अनोखा फैसला

Nilmani Pal
27 Feb 2022 10:43 AM GMT
पति को एक महीने तक रहना होगा ससुराल में ही, कोर्ट ने सुनाया अनोखा फैसला
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एमपी। मध्य प्रदेश(Madhya Pradesh) राज्य के ग्वालियर जिले में एक हैरतअंगेज मामला सामने आया है. यहां ग्वालियर हाई कोर्ट (Gwalior court) ने एक टूटते परिवार को सहारा देते हुए अनोखा फैसला सुनाया है. कोर्ट की एकल पीठ के आदेश पर अब पति को एक महीने तक ससुराल में ही रहना होगा. कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि ससुराल जाइए और खीर-पूड़ी खाएं. दरअसल, मामला ग्वालियर के सेवा नगर का है. यहां की रहने वाली एक महिला ने अपने दो साल के बेटे को वापस लेने के लिए हाई कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की थी. महिला का कहना था कि पति की प्रताड़ना से तंग आकर उसे ससुराल छोड़ना पड़ा था. उसका दो साल का बच्चा पति, सास ससुर व देवर के कब्जे में है. महिला ने याचिका में तर्क दिया कि बच्चे का लालन-पालन मां के हाथ में अच्छा होगा. कोर्ट ने पति को बच्चे के साथ बुलवाया. प्रतिवादी की ओर से पैरवी अधिवक्ता अवधेश सिंह तोमर ने की.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कोर्ट में महिला (याचिकाकर्ता) ने अपने बच्चे को गोद में लेने के लिए हाथ बढ़ाया तो बच्चे ने पास आने से इनकार कर दिया. पति ने पत्नी के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि एक साल पहले लड़-झगड़कर ससुराल से भाग आई थी. बच्चों को भी छोड़ आई थी. पति का कहना था कि मैं बेहतर तरीके से बच्चे की एक साल से देखभाल कर रहा हूं. पति ने कोर्ट में कहा कि पत्नी को साथ ले जाने के लिए भी तैयार हूं और उसकी अच्छे से देखभाल करूंगा. लेकिन पत्नी ने साथ जाने से मना कर दिया. उसका कहना था कि वह ससुराल जाती है तो उसके साथ मारपीट हो सकती है.

सुनवाई के दौरान महिला (याचिकाकर्ता) के माता-पिता मौजूद थे, उन्होंने दामाद को अपने घर ले जाने की कोर्ट से अनुमति मांगी. इसपर कोर्ट ने मुहर लगा दी. कोर्ट ने कहा कि एक महीने तक पति बच्चे के साथ ससुराल में रहे. परिवार को फिर से जोड़ने की कोशिश करे. ससुराल वालों को भी कहा कि जमाई से ठीक से पेश आएं. 23 मार्च को याचिका पर फिर से सुनवाई होगी. पति-पत्नी को अपने अनुभव कोर्ट को बताने होंगे.

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