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धर्म से ऊपर इंसानियत: कोरोना काल में मुस्लिम युवक हिन्दू शवों का कर रहे अंतिम संस्कार, पढ़े इन देवदूत की कहानी

jantaserishta.com
20 April 2021 2:53 AM GMT
धर्म से ऊपर इंसानियत: कोरोना काल में मुस्लिम युवक हिन्दू शवों का कर रहे अंतिम संस्कार, पढ़े इन देवदूत की कहानी
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कहते हैं इंसानियत सबसे बड़ा धर्म है और इसकी तस्वीर इन दिनों भोपाल के श्मशान घाटों पर देखने को मिल रही है. जहां मुस्लिम युवक ऐसे हिन्दू शवों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं जिनके परिजन उनके अंतिम संस्कार में नहीं आए. भोपाल के रहने वाले दानिश और सद्दाम इन दिनों इसी इंसानियत का परिचय देते हुए ऐसे शवों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं.

अब तक करीब 60 शवों का अंतिम संस्कार कर चुके सद्दाम और दानिश का कहना है कि धर्म से ऊपर इंसानियत है. कोरोना काल के दौरान हो रही मौत रिश्तों को भी कई बार निगल रही है. कुछ मजबूरी में और कुछ डर के मारे अपनों का अंतिम संस्कार भी नहीं कर पा रहे हैं.
ऐसी स्थिति में इस कोरोना काल में जाति-धर्म के बंधन को तोड़ते हुए भोपाल के दानिश और सद्दाम ऐसे शवों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं. खासकर उन लोगों का जो दाह संस्कार करने के लिए सक्षम नहीं हैं. दोनों अबतक करीब 60 ऐसे शवों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं.
दरअसल, बीते कुछ दिनों से श्मशान घाटों में बड़ी संख्या में शव दाह संस्कार के लिए पहुंच रहे हैं. इनमें सामान्य मृतक भी हैं तो दूसरी तरफ कोविड पॉजिटिव और संदिग्ध कोविड मरीजों के शव भी हैं. ज्यादातर का अंतिम संस्कार तो परिवार की मौजूदगी में हो जाता है लेकिन कुछ शव ऐसे भी होते हैं जिनके परिजन डर की वजह से दाह संस्कार में नहीं पहुंचते. ऐसे समय में सद्दाम और दानिश देवदूत बन रहे हैं.
इन दिनों रमजान का महीना है और दोनों ने रोजे भी रखे हैं लेकिन इसके बावजूद सुबह से अस्पतालों और श्मशानों के चक्कर लगाते हैं और ऐसे शवों का अंतिम संस्कार करते हैं. पूछने पर कहते हैं कि धर्म से ऊपर इंसानियत है. इनका मानना है कि यही सबसे बड़ा पुण्य है. बहरहाल, कोरोना काल में आज जहां अपने ही अपनों से दूरी बना रहे हैं, ऐसे समय में सद्दाम और दानिश किसी अपने से कम नहीं.
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