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हृदय में भगवान की भक्ति के बिना मनुष्य जीवन शव के समान: यादवेंद्रानंद

Shantanu Roy
20 Aug 2023 12:13 PM GMT
हृदय में भगवान की भक्ति के बिना मनुष्य जीवन शव के समान: यादवेंद्रानंद
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लखीसराय। चितरंजन रोड स्थित लायंस क्लब में दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा आयोजित श्री राम चरित मानस एवं गीता ज्ञान यज्ञ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मौके पर आशुतोष महाराज जी के शिष्य स्वामी यादवेंद्रानंद ने अपने वक्तव्य में कहा कि जिसके हृदय में भगवान की भक्ति नहीं वह जीते जी शव के समान है। आज परमात्मा को सभी मानते हैं लेकिन परमात्मा मानने का नहीं जानने का विषय है। परमात्मा को जानने का अनेक मार्ग नहीं एक मार्ग है जिस मार्ग को सभी संतो ने और भक्तों ने बताया है। रामचरितमानस में गोस्वामी जी कहते हैं प्रथम भक्ति संतन कर संगा। भक्ति का आरंभ पूर्ण संत की शरणागति में जाकर ही प्राप्त होता है। पूर्ण संत दिव्य दृष्टि प्रदान कर ईश्वर का दर्शन अंतर्गत में कराते हैं । दर्शन के बाद भगवान की भक्ति आरंभ होती है।
इस दौरान शिष्या साध्वी अमृता भारती ने कहा कि परमात्मा को तर्क बुद्धि और शाब्दिक ज्ञान द्वारा नहीं पाया जा सकता है। परमात्मा की प्राप्ति के लिए पूर्ण संत की शरणागति आवश्यक है। बिना पूर्ण गुरु के शरणागति के इंसान ईश्वरीय लीलाओं के पीछे के रहस्य को नहीं जान सकता। उन्होंने कहा कि इंसान भटकता ही रहता है कभी पंथों में तो कभी ग्रंथो में। जिस प्रकार एक मधुमक्खी तब तक पुष्प के चारों तरफ चक्कर लगाती है जब तक वह पुष्प से मधुर रस का आनंद नहीं ले लेती। रस पीते ही मधुमक्खी शांत और स्थिर हो जाती है। ठीक इसी प्रकार मनुष्य भी जब तक ईश्वर दर्शन का, ईश्वर अनुभूतियों का आनंद रस नहीं चख लेता तब तक वह बेचैन, अशांत और भटकता ही रहता है। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलित कर किया गया। कार्यक्रम में काफी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया । भक्ति के वास्तविक रहस्य को जाना।
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