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कैसे पेगासस का इस्तेमाल यूजर्स के फोन को हैक करने और जसूसी के लिए किया गया, 10 पॉइंट्स में पढ़ें पूरी कहानी

Renuka Sahu
19 July 2021 2:43 AM GMT
कैसे पेगासस का इस्तेमाल यूजर्स के फोन को हैक करने और जसूसी के लिए किया गया, 10 पॉइंट्स में पढ़ें पूरी कहानी
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फाइल फोटो 

न्यूज वेबसाइट द वायर और दूसरी कई वेबसाइट्स में रविवार को आई रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय मंत्रियों, विपक्षी नेताओं और पत्रकारों के फोन नंबर उस लीक डेटाबेस में पाए गए हैं, जिसमें इजरायली स्पाइवेयर ‘पेगासस’ का इस्तेमाल किया गया था. साथ ही रिपोर्ट में कहा गया है कि इजरायली स्पाइवेयर ‘पेगासस’ केवल सरकारों के लिए उपलब्ध है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। न्यूज वेबसाइट द वायर और दूसरी कई वेबसाइट्स में रविवार को आई रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय मंत्रियों, विपक्षी नेताओं और पत्रकारों के फोन नंबर उस लीक डेटाबेस में पाए गए हैं, जिसमें इजरायली स्पाइवेयर 'पेगासस' का इस्तेमाल किया गया था. साथ ही रिपोर्ट में कहा गया है कि इजरायली स्पाइवेयर 'पेगासस' केवल सरकारों के लिए उपलब्ध है.

10 पॉइंट्स में समझिए पूरी कहानी
1. रिपोर्ट में कहा गया है कि लीगल कम्युनिटी से जुड़े लोग, बिजनेसमैन, सरकारी अधिकारी, वैज्ञानिक, एक्टिविस्ट और अन्य के नंबर इस लिस्ट में शामिल हैं. साथ ही कहा कि इस लिस्ट में 300 से ज्यादा भारतीय मोबाइल नंबर हैं.
2. द वायर ने बताया कि डेटाबेस में 40 से अधिक पत्रकार, तीन प्रमुख विपक्षी हस्तियां, एक संवैधानिक प्राधिकरण, सुरक्षा संगठनों के वर्तमान और पूर्व प्रमुख और अधिकारी और कई बिजनेसमैन शामिल हैं. साथ ही कहा कि आने वाले दिनों में वो नाम भी प्रकाशित करेंगे.
3. वेबसाइट ने कहा कि एक नंबर सुप्रीम कोर्ट के एक मौजूदा जज के नाम पर था, लेकिन अभी ये वेरीफाई करना बाकी है कि क्या जज अभी भी उस मोबाइल नंबर का इस्तेमाल कर रहे हैं.
4. द वायर ने डेटा का विश्लेषण किया, जिससे पता चलता है कि 2019 के लोकसभा आम चुनावों के लिए 2018 और 2019 के बीच अधिकांश नामों को टारगेट किया गया था, लेकिन ये सुझाव देने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं है कि सभी फोन हैक हो गए थे.
5. वहीं पेगासस को बेचने वाली इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप ने आरोपों से इनकार किया और दावा किया कि वो अपने स्पाईवेयर को केवल अच्छी तरह से जांची परखी सरकारों को ही ऑफर करती हैं.
6. हालांकि भारत सरकार ने हैकिंग में शामिल होने से इनकार करते हुए कहा कि विशिष्ट लोगों पर सरकारी निगरानी के आरोपों का कोई ठोस आधार या इससे जुड़ी सच्चाई नहीं है.
7. द वायर की रिपोर्ट के अनुसार सूचना के अधिकार (आरटीआई) के एक पुराने जवाब की ओर इशारा करते हुए कहा कि सरकारी एजेंसियों की तरफ से कोई अनधिकृत अवरोधन नहीं किया गया है, लेकिन पेगासस स्पाइवेयर की खरीद या उपयोग से स्पष्ट रूप से इनकार नहीं किया.
8. द वायर के अनुसार टारगेट संख्याओं से जुड़े कुछ फोनों पर किए गए फोरेंसिक टेस्ट से पेगासस स्पाइवेयर की तरफ से टारगेट करने के साफ संकेत मिले हैं. अगर फोन आईफोन है तो ये काम और ज्यादा आसान हो गया है.
9. जासूसी कांड की रिपोर्ट पेरिस स्थित मीडिया गैर-लाभकारी फॉरबिडन स्टोरीज और एमनेस्टी इंटरनेशनल की तरफ से एक्सेस किए गए एक लीक डेटाबेस पर आधारित है, जिसे एक सहयोगी जांच के लिए दुनिया भर के कई प्रकाशनों के साथ शेयर किया गया था.
10. द वायर ने बताया कि लिस्ट में पहचाने गए ज्यादातर नंबर भौगोलिक रूप से 10 देश समूहों में केंद्रित थे, जिसमें भारत, अजरबैजान, बहरीन, हंगरी, कजाकिस्तान, मैक्सिको, मोरक्को, रवांडा, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं.


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