शिक्षण संस्थानों ने कितना किया तय मानकों का पालन, होगा खुलासा

शिमला। उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों की नियुक्ति और पीएचडी डिग्री देने में गड़बडिय़ों की जांच नियमित रूप से करेगी। यूजीसी ने इसके लिए स्थायी समिति के गठन का फैसला किया है। अब देश में शिक्षकों की नियुक्ति और पीएचडी डिग्री प्रदान करने में कोई भी अनियमितता मिलने पर गंभीर कार्रवाई की जाएगी। यूजीसी द्वारा गठित …
शिमला। उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों की नियुक्ति और पीएचडी डिग्री देने में गड़बडिय़ों की जांच नियमित रूप से करेगी। यूजीसी ने इसके लिए स्थायी समिति के गठन का फैसला किया है। अब देश में शिक्षकों की नियुक्ति और पीएचडी डिग्री प्रदान करने में कोई भी अनियमितता मिलने पर गंभीर कार्रवाई की जाएगी। यूजीसी द्वारा गठित स्थायी समिति कुछ उच्च शिक्षण संस्थानों को चिन्हित किया है। इन शिक्षण संस्थानों से यूजीसी पीएचडी अवॉर्ड करने की पूरी प्रक्रिया की जानकारी लेगी। यूजीसी इन विश्वविद्यालयों के द्वारा हाल के वर्षों में दी गई पीएचडी डिग्री के दस्तावेज की जांच करेगी।
इस जांच में देखा जाएगा कि शिक्षण संस्थानों के द्वारा यूजीसी के तय मानकों का पालन किया गया था या नहीं। यूजीसी को बार यूजीसी की नई गाइडलाइंस के अनुसार अब चार वर्षीय ग्रेजुएशन कोर्स पूरा करने वाले अथवा तीन वर्षीय ग्रेजुएशन के साथ दो वर्षीय मास्टर्स डिग्री करने वाले उम्मीदवार पीएचडी एडमिशन के लिए आवेदन कर सकते हैं। हालांकि चार वर्षीय बैचलर्स डिग्री में न्यूनतम 75 फीसदी अंक होने चाहिए एवं दो वर्षीय मास्टर्स में न्यूनतम 55 फीसदी अंक प्राप्त होने चाहिए। न्यूनतम अंकों में एससी, एसटी, ओबीसी वर्ग के उम्मीदवारों को पांच फीसदी तक की छूट दी जाएगी। इसके अलावा न्यूनतम 55 फीसदी अंकों के साथ एमफिल पूरा करना होगा।
