हिमाचल प्रदेश में कोरोना के चलते पर्यटन उद्योग को खासा नुकसान हुआ है. हिमाचल के होटल कारोबारी घाटे में चल रहे हैं और अधिकतर होटल संचालक सरकार की बंदिशों से खासे नाराज चल रहे हैं, लेकिन इस बीच राजधानी शिमला के एक होटल मालिक ने मिसाल पेश की है. घाटे के बावजूद होटल (Hotel) मालिक ने कोरोना संक्रमितों को मुफ्त खाना वितरण करने का कार्य शुरू किया है.
टिंबर हाउस के समीप स्थित होटल हिमलैंड ईस्ट के मालिक उमेश आकरे ने ये शुरूआत की है. उमेश आकरे अपने शानदार होटल से उन कोरोना संक्रमितों से घर पर खाना पहुंचा रहे हैं, जो लोग खाना बनाने में असमर्थ हैं या जिनका पूरा परिवार कोरोना संक्रमित है और खाना बनाने की हालत में नहीं हैं या घर पर अकेला है और खाना नहीं बना सकता है. उनकी मदद की जा रही है. इसके लिए अपने होटल के स्टाफ को ड्यूटी पर लगाया है और होटल की गाड़ी से ही जरूरतमंदो के घर के बाहर खाना छोड़ा जाता है. सोमवार से उमेश आकरे ने इसकी शुरूआत की है.
73 वर्षीय उमेश आकरे ने बताया कि ये सोच उनके छोटे बेटे आदित्य आकरे और बहू पलक अरोड़ा आकरे की थी. दोनों चंडीगढ़ में रहते हैं. बेटे और बहू ने जब इसके बारे में बात की तो कई सवाल उठे कि ये सब कैसे होगा. वो लोग चंडीगढ़ में हैं और यहां इस उम्र में कैसे सब मैनेज होगा और कैसे इस पहल को अंजाम दिया जाएगा. कैसे लोग हमसे संपर्क करेंगे. फिर उनको बेटे और बहू ने प्लान बनाकर भेजा कि कैसे स्टार्ट करना है. उसके बाद इस पहल पर कार्य शुरू कर दिया. उमेश आकरे ने बताया कि उन्होंने इस पहल की जानकारी अपने व्हट्स एप ग्रुप में भेजी. बेटे और बहु ने अपने परिचितों को संदेश भेजे कि जो कोरोना पीड़ित जरूरतमंद है, वो हमसे मदद ले सकता है. इतना ही नहीं, उमेश आकरे की बेटी, जो अंडमान निकोबार में रहती है, उसने वहां से अपने ग्रूप में मैसेज भेजे. संपर्क करने के लिए आदित्य का मोबाइल नंबर और होटल के रिसेप्शन का नंबर दिया गया है. जो मदद मांगता है, उसे कोविड पॉजिटिव होने संबंधी दस्तावेज भेजने होते हैं. क्रॉस चेक करने के बाद उसे खाना पहुंचाया जाता है.
खाने में दाल,सब्जी,चपाती और चावल दिए जाता है, इतना ही नहीं जिन लोगों को डॉक्टरों ने खाने संबंधी निर्देश दिए हैं,उन्हें उस तरह का खाना दिया जाता है. लंच के लिए सुबह 11 बजे तक ऑर्डर लिया जाता है. उमेश आकरे ने बताया कि इसका पूरा रिकार्ड रखा जा रहा है ताकि उस हिसाब से खाना तैयार किया जा सके. जिनके घर तक जो खाना पहुंचाया जाता है उसका भी रिकार्ड रखा गया है ताकि इस बात को सुनिश्चित किया जाए कि उनके खाने की वजह से कोई परेशानी तो नहीं हो रही है. उन्होंने बताया कि होटल के शेफ को मैन्यू दिया गया है. सारा खाना फ्रेश बनाया जाता है. अपने संसाधनों को देखते हुए शहर के सीमित इलाकों के लिए ये सुविधा शुरू की गई है.
लिफ्ट से लेकर केएनएच, छोटा शिमला और न्यू शिमला के कुछ एरिया में ये फ्री सर्विस दी जा रही है. कई बार कहीं दूर से कॉल आती है तो वहां पर भी मदद दी जाती है. अभी शुरूआत किए हुए तीन दिन हुए हैं और हर रोज 4-5 ऑर्डर आ रहे हैं. उन्होंने कहा जब तक जेब इजाजत देगी तब तक ये फ्री सेवा जारी रखेंगे, हालांकि कई लोग फोन करके आर्थिक मदद से लेकर अन्य कई तरह की मदद करने के लिए कह रहे, लेकिन उनका कहना है कि अभी मैंने सभी को इनकार कर दिया है. जब जरूरत पड़ेगी तो मदद लेने के बारे में विचार करेंगे. साथ ही कहा कि शिमला में लंबे समय से कई समाजसेवी संस्थाओं से जुड़े रहे हैं. उमेश और उनकी पत्नी समाजसेवा के विभिन्न कार्य करते रहे हैं. ये भी आपको बताते चलें कि हिमाचल के पहले ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने होटल मैनेजमेंट का कार्य किया है. 1971 में दिल्ली से इन्होंने होटल मैनेजमेंट का कोर्स किया है.
आकरे का कहना है कि काम करने को कुछ नहीं है. होटल खाली पड़ा है, 25 लोगों का स्टाफ है तो क्यों न इस समय को समाज की सेवा में लगाया जाए, जरूरतमंदो की मदद की जाए. उन्होंने कहा कि होटल बिजनेस और घाटा अपनी जगह है मानवता अपनी जगह. कारोबार को लेकर उन्होंने बताया कि बीते साल जब कोरोना संक्रमण जब कम हुआ, सितंबर महीने में होटल खुले थे. उसके बाद कुछ समय तक बिजनेस ठीक चला, 4-5 कमरे लगने शुरू हो गए थे. उससे भी होटल का खर्चा ही निकल पाया. स्टाफ को सैलरी समेत 5 लाख रू. महीने का खर्च आता है. अकेले स्टाफ की सैलरी ही 3 लाख रुपये से ज्यादा है. पहले 32 लोगों का स्टाफ होता था, कोरोना के चलते स्टाफ कम करना पड़ा और इस वक्त 25 लोगों का स्टाफ है.