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अस्पताल का दावा: दो घंटे बाद ही चलने लगा मरीज, रोबोट ने की घुटने की सर्जरी

Deepa Sahu
9 Aug 2021 5:42 PM GMT
अस्पताल का दावा: दो घंटे बाद ही चलने लगा मरीज, रोबोट ने की घुटने की सर्जरी
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दिल्ली के आकाश अस्पताल में भर्ती हुए हरियाणा निवासी मरीज रोहताश (58) के घुटने की सर्जरी रोबोट की सहायता से की गई।

दिल्ली के आकाश अस्पताल में भर्ती हुए हरियाणा निवासी मरीज रोहताश (58) के घुटने की सर्जरी रोबोट की सहायता से की गई। सर्जरी के दो घंटे बाद ही वह चलने लगे। अस्पताल का दावा है कि यह घुटने के प्रत्यारोपण की उत्तर भारत की पहली रोबोटिक सर्जरी है। भारतीय सेना में सूबेदार रह चुके रोहताश को पांच सालों से घुटने में तेज दर्द हो था। समस्या के बढ़ने के बाद उन्हें हरियाणा से आकाश हेल्थकेयर अस्पताल में रेफर किया गया था। अस्पताल के जॉइंट रिप्लेसमेंट विभाग के निदेशक डॉक्टर आशीष चौधरी ने बताया कि इस ऑपरेशन के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों की एक टीम बनाई गई थी।

रोबोट की सहायता से इसे किया गया। रोबोटिक सर्जरी की वजह से घुटने के अधिकांश भाग को बिल्कुल समान बनाए रखने में मदद की। डॉक्टरों ने बहुत कम समय में रोबोटिक पेटेलोफेमोरल जॉइंट (पीएफजे) रिप्लेसमेंट सर्जरी को अंजाम दिया है। इस सर्जरी का सबसे बड़ा फायदा यह रहा कि मरीज के पूरे घुटने के प्रत्यारोपण की जरूरत नहीं पड़ी।
डॉ. ने बताया कि घुटने के जोड़ में तीन भाग होते हैं। इस जोड़ में एक आंतरिक (बीच का मीडियल) और एक बाहरी (लेटरल) कम्पार्टमेंट होता है। नीकैप (पेटेला के रूप में जाना जाता है, जिस भाग में रोगी को अर्थराइटिस हो रहा था), घुटने के जोड़ के सामने की रक्षा करता है और जांघ की हड्डी से जुड़कर तीसरा जोड़ बनाता है, जिसे पेटेलोफेमोरल जोड़ कहा जाता है।
सर्जरी में पूरे घुटने के बजाय केवल क्षतिग्रस्त हिस्से को बदला गया। इस सर्जरी में काफी कम समय लगा। जहां सामान्य ऑपरेशन में एक से दो घंटा लगता है वहीं, रोबोटिक सर्जरी में केवल 40 मिनट लगे। इस प्रक्रिया में छोटा सा ही चीरा लगा, जिससे मरीज को उबरने में बहुत कम समय लगा।
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