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सुप्रीम कोर्ट में कोरोना का भयावह प्रकोप, बड़ी संख्या में कर्मचारी मिले संक्रमित, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जज घर से ही करेंगे सुनवाई

jantaserishta.com
12 April 2021 4:07 AM GMT
सुप्रीम कोर्ट में कोरोना का भयावह प्रकोप, बड़ी संख्या में कर्मचारी मिले संक्रमित, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जज घर से ही करेंगे सुनवाई
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फाइल फोटो 

Coronavirus Updates: देश में कोरोना का कहर जारी है. भारत में हर दिन कोरोना के रिकॉर्ड मामले दर्ज किये जा रहे हैं. कोरोना के कहर को देखते हुए देश के कई राज्यों में नाइट कर्फ्यू (Night Curfew), वीकेंड लॉकडाउन (Weekend Lockdown) और लॉकडाउन (Lockdown) जैसी पाबंदियां लगाई गई हैं. इस बीच एक बड़ी खबर सामने आ रही है. सुप्रीम कोर्ट के 50 फीसदी स्टाफ कोरोना वायरस से संक्रमित हो गये हैं. इसके बाद जज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये अपने घर से ही केसों की सुनवाई करेंगे.



इस साल 2 फरवरी को जब देश में कोरोना के केस 8,635 दर्ज किए गए तो लोगों को उम्मीद जगने लगी थी कि महामारी खत्म होने को है. यहां तक कि सरकारें पैनडेमिक की बजाय एनडेमिक का नारा देने लगी थीं. संकट खत्म मानकर सबकुछ खोल दिया गया, लोग घरों से निकल पड़े, सोशल डिस्टेंसिंग केवल प्रतीकात्मक दिखने लगी, मास्क मुंह और नाक से नीचे खिसककर गले तक आ गए. शादी समारोहों, पार्टियों में भीड़ दिखने लगीं, चुनावी रैलियों में भीड़ बढ़ने लगी, स्कूल-दफ्तर खोल दिए गए. सिनेमा हॉल, मॉल्स, पर्यटन स्थल गुलजार होने लगे. और फिर अचानक मार्च खत्म होते-होते देशभर में और दुनियाभर में कोरोना की दूसरी लहर का शोर लौट आया. अप्रैल की शुरुआत से ही महामारी का दौर ऐसा लौटा कि पिछली लहर को काफी पीछे छोड़ गया.
देश में 2 फरवरी के मिनिमम केस के ठीक 70 दिन बाद कोरोना वायरस संक्रमण सारे रिकॉर्ड तोड़ चुका है. भारत में कोरोना की रफ्तार इतनी तेज़ है कि 12 अप्रैल को देश में कुल 1.69 लाख मामले दर्ज किए गए हैं, जबकि 900 से अधिक लोगों की मौत हुई है. अकेले दिल्ली में ही 10 हजार से अधिक केस जबकि महाराष्ट्र में 55 हजार के पार नए मरीज रोज सामने आ रहे हैं. 30 जनवरी 2020 को देश में कोरोना का पहला केस सामने आया था. 15 महीने में इस महामारी से 1 करोड़ 34 लाख लोग संक्रमित हो चुके हैं जबकि 1 लाख 70 हजार लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है. देश में अभी 11 लाख से भी अधिक एक्टिव मरीज हैं.
देश में कोरोना विस्फोट की स्थिति से निपटने में संसाधन कम पड़ रहे हैं. शहर-शहर अस्पतालों में बेड्स, ICU बेड्स, वेंटिलेटर की कमी देखी जा रही है तो श्मशान घाटों पर लाइनें लग रही हैं. कोरोना से निपटने में जरूरी रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए घंटों लोगों को लाइनों में लगते देखा जा रहा है. आखिर गया हुआ कोरोना संकट कैसे लौट आया. कोरोना की दूसरी लहर इतनी खतरनाक क्यों हैं? और कब तक राहत की उम्मीद है? इन सब सवालों के जवाब आज हर कोई जानना चाहता है. हम आपको बताते हैं कि एक्सपर्ट इस हालात को कैसे देखते हैं और हालात किस दिशा में जाते दिख रहे हैं.
पिछली वेव में कोरोना संक्रमित लोगों में अधिकांश युवा लोग असिम्प्टोमैटिक या माइल्ड सिम्प्टोमैटिक थे और ज्यादा संक्रमित नहीं हो रहे थे. बच्चों में इनफेक्शन बहुत कम था. नई लहर में बच्चों में भी संक्रमण फैल रहा है. गंभीर मसला ये है कि जिन यंग लोगों को कोरोना हो रहा है बहुतों में कोई सिम्पट्म नहीं है और जिनमें लक्षण हैं वो कई बार टेस्ट होने के बाद भी निगेटिव आ रहे हैं.
कोरोना की इस लहर का एक बड़ा फैक्टर हैं असिम्प्टोमैटिक केस. यानी ऐसे मरीज जिनमें संक्रमण तो हैं लेकिन संक्रमण के लक्षण नहीं दिख रहे. इनके मामले सीरो सर्वे या रैंडम टेस्ट में पकड़ में आ रहे हैं. मुंबई में बीएमसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक मार्च से शुरू हुई कोरोना की दूसरी लहर में 80 फीसदी से अधिक केस असिम्प्टोमैटिक हैं. इन मामलों में ज्यादा खतरा इसलिए है कि संक्रमण की स्थिति गंभीर होने के बाद मरीज अस्पतालों तक पहुंच रहे हैं. इसलिए स्थिति को संभालना मुश्किल हो रहा है.


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