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गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों से कहा- थानों में आईटी एक्ट-66 A के तहत न हो FIR दर्ज, दर्ज केस वापस लेने का भी निर्देश
jantaserishta.com
14 July 2021 2:23 PM GMT
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>सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद गृह मंत्रालय ने बुधवार को सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों से अनुरोध किया है कि वे अपने अधिकार क्षेत्र के सभी पुलिस स्टेशनों को निरस्त आईटी एक्ट-66 A के तहत मामले दर्ज न करने का निर्देश दें.
नई दिल्ली, जुलाई 14: सूचना तकनीकी कानून (आईटी एक्ट) की धारा 66ए को हाल ही में सु्प्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की थी। जिसके बाद इस मामले पर गृह मंत्रालय ने संज्ञान लिया है। गृह मंत्रालय (एमएचए) ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से अनुरोध किया है कि वे अपने अधिकार क्षेत्र के सभी पुलिस स्टेशनों को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की निरस्त धारा 66 ए के तहत मामले दर्ज न करने का निर्देश दें।
गृह मंत्रालय (एमएचए) ने यह भी अनुरोध किया है कि यदि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में आईटी अधिनियम, 2000 की धारा 66 ए के तहत ऐसा कोई मामला दर्ज किया गया है, तो ऐसे मामलों को तुरंत वापस लिया जाना चाहिए। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर हैरानी जताई कि आईटी एक्ट की धारा-66 ए जो कोर्ट से निरस्त हो चुकी है उसके बाद भी पुलिस इसके तहत केस दर्ज कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है।
सुप्रीम कोर्ट 6 साल पहले धारा 66 ए को निरस्त कर चुका था। लेकिन इसके बाद भी सूचना प्रौद्योगिकी का ये कानून अब तक देश के 11 राज्यों में प्रभाव में था। पुलिस लगातार इसके तहत मामले दर्ज कर रही थी। इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस पर तीखी टिप्पणी की थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी कड़े तरीके से सरकारों को लताड़ा लगाई थी। श्रेया सिंघल बनाम भारत सरकार केस में सर्वोच्च अदालत ने आईटी एक्ट के सेक्शन 66ए को असंवैधानिक घोषित कर दिया था।
क्या है आईटी की धारा 66-A
आईटी एक्ट में वर्ष 2009 में संशोधित अधिनियम के तहत धारा 66ए को जोड़ा गया था। यह कहती है कि कंप्यूटर रिसोर्स (डेस्कटॉप, लैपटॉप, टैब आदि) या संचार उपकरण (मोबाइल, स्मार्टफोन आदि) के माध्यम से संदेश भेजने वाले उन व्यक्तियों को दंडित किया जा सकता है। ऐसे अपराध के लिए तीन साल तक की जेल की सजा और जुर्माने का प्रावधान किया गया।
Ministry of Home Affairs (MHA) has also requested that if any case has been booked in States and UTs under section 66A of the IT Act, 2000, such cases should be immediately withdrawn: Ministry of Home Affairs (MHA)
— ANI (@ANI) July 14, 2021
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