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आटे की होम डिलिवरी: 1 अक्‍टूबर से राज्य सरकार शुरू कर रही है ये योजना

HARRY
14 Aug 2022 3:45 PM GMT
आटे की होम डिलिवरी: 1 अक्‍टूबर से राज्य सरकार शुरू कर रही है ये योजना
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चंडीगढ़. राज्य के लोगों को घर-घर राशन मुहैया करवाने की दृढ़ वचनबद्धता के साथ राज्य सरकार इस साल 1 अक्तूबर से आटा की होम डिलीवरी सेवा की शुरुआत करेगी. इस योजना को राज्य भर में एक ही पड़ाव में लागू किया जायेगा. इसके लिए पूरे राज्य को आठ जोनों में बांटा गया है.

इस बारे में जानकारी देते हुए खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामलों संबंधी मंत्री लाल चंद कटारूचक्क ने बताया कि इस स्कीम के अंतर्गत सरकार की तरफ से एनएफएसए के अधीन रजिस्टर हर एक लाभार्थी को आटा की होम डिलीवरी का विकल्प दिया जायेगा. कोई भी लाभार्थी जो खुद डीपू से गेहूं लेना चाहता है, उसके पास मुफ्त में उचित आईटी दखल के साथ इसको चयन करने का विकल्प होगा. राशन का वितरण अब तिमाही की जगह महीनावार ढंग से किया जायेगा.
मंत्री ने कहा कि होम डिलीवरी सेवा मोबाइल फेयर प्राइस शॉप्स (एमपीएस) की धारणा को पेश करेगी. एमपीएस एक ट्रांसपोर्ट वाहन होगा, जिसमें अनिवार्य रूप से जीपीएस सुविधा और कैमरे लगे होंगे जिससे लाभार्थी को आटा सौंपने को लाइव स्ट्रीम किया जा सके. उन्होंने आगे कहा कि इस वाहन में अनिवार्य रूप से भार तोलने की सुविधा होगी, जिससे लाभार्थी को आटा की डिलीवरी से पहले इसके वजन के बारे में संतुष्ट किया जा सके.
एमपीएस वाहन में बायोमीट्रिक सत्यापन, लाभार्थी को सौंपने के लिए प्रिंट की गई वजन स्लिप आदि सभी अनिवार्य जरूरतें प्रदान की जाएंगी. सभी एमपीएस लाइसेंस खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग द्वारा जारी किये जाएंगे. एनएफएसए के तहत एमपीएस को फेयर प्राइस शॉप्स जैसा दर्जा दिया जायेगा. सिफर एमपीएस ही आटा की होम डिलीवरी की सुविधा प्रदान करेंगे.
कैबिनेट मंत्री ने कहा कि एनएफएसए के लाभार्थियों को आटा की सफलतापूर्वक होम डिलीवरी के लिए ज़रूरी सभी गतिविधियों के लिए मार्कफैड द्वारा स्पैशल पर्पस व्हीकल तैयार किया जायेगा. राज्य सरकार गेहूं को आटा में पीसने का सारा खर्चा खुद वहन करेगी, चाहे एनएफएसए के दिशा-निर्देशों के अनुसार यह खर्च लाभार्थी से वसूलने के लिए कहा गया है. कटारूचक्क ने कहा कि इस नई सेवा के साथ स्थानीय आटा चक्की से गेहूं को आटा में पीसने के लिए आने वाले खर्च के सम्बन्ध में लाभार्थियों को लगभग 170 करोड़ रुपए की बचत होने की संभावना है.
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