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शोक की होली, यहां नहीं जलते घरों में चूल्हे

Nilmani Pal
18 March 2022 2:06 AM GMT
शोक की होली, यहां नहीं जलते घरों में चूल्हे
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राजस्थान. राजस्थान के पुष्करणा ब्राह्मण के चोवट‍िया जोशी जात‍ि के लोग होली पर खुश‍ियों की जगह शोक मनाते हैं. इस द‍िन घरों में चूल्हे नहीं जलते हैं. ये शोक ठीक वैसा ही होता है जैसे घर में किसी की मौत हो गई हो.ऐसा करने के पीछे एक पुरानी कहानी बताई जाती है. कहते हैं सालों पहले इस जनजात‍ि की एक मह‍िला होल‍िका दहन के द‍िन होल‍िका की पर‍िक्रमा कर रही थी. उसके हाथ में उसका बच्चा भी था. लेकिन वो बच्चा आग में फिसलकर ग‍िर गया. बच्चे को बचाने के लिए मह‍िला भी आग में कूद गई. इस तरह दोनों की मौत हो गई. मरते वक्त मह‍िला ने वहां मौजूद लोगों से

कहा कि अब होली पर कभी कोई खुश‍ी मत मनाना. तब से इस प्रथा को आज भी निभाया जा रहा है. राख पर चलने की परंपरा- राजस्थान के बांसवाड़ा में रहने वाली जनजात‍ियों के बीच खेली जाने वाली होली में गुलाल के साथ होल‍िका दहन की राख पर भी चलने की परंपरा है. यहां के लोग राख के अंदर दबी आग पर चलते हैं. इसके अलावा यहां एक-दूसरे पर पत्थरबाजी भी करने का रिवाज होता है. इस प्रथा के पीछे एक मान्यता प्रचलित है कि इस होली को खेलने से जो खून न‍िकलता है उससे व्यक्ति का आने वाला समय बेहतर बनता है.

हरियाणा के इस जिले में नहीं मनाई जाती होली- हरियाणा के कैथल ज‍िले के दूसरपुर गांव में होली का त्योहार नहीं मनाया जाता है. कहते हैं इस गांव को एक बाबा ने श्राप द‍िया था. दरअसल संत गांव के एक व्यक्ति से नाराज हो गए थे. इसके बाद उन्होंने होल‍िका की आग में कूदकर जान दे दी. जलते हुए बाबा ने गांव को श्राप द‍िया कि अब यहां कभी भी होली मनाई गई तो अपशगुन होगा. इस डर से भयभीत गांव के लोगों ने सालों बीत जाने के बाद भी कभी होली नहीं मनाई


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