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सामाजिक एकता की मजबूत मिसाल: बनगांव की होली है खास, एक-दूसरे के कंधे पर चढ़कर रंग लगाते हैं लोग

jantaserishta.com
18 March 2022 3:38 AM GMT
सामाजिक एकता की मजबूत मिसाल: बनगांव की होली है खास, एक-दूसरे के कंधे पर चढ़कर रंग लगाते हैं लोग
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सामाजिक एकता की मजबूत मिसाल

सहरसा: बिहार के सहरसा जिले में मुख्यालय से आठ किलोमीटर दूर कहरा प्रखंड के बनगांव में मनाई जाने वाली होली की पूरे राज्य में अलग पहचान है. ये घुमौर होली ब्रज की होली जैसी बेमिसाल है. इसमें लोग एक दूसरे के कंधे पर सवार होकर ,जोर आजमाइश करके होली मनाते हैं.

संत लक्ष्मी नाथ गोंसाई द्वारा शुरू की गयी बनगांव की होली ब्रज की लठमार होली की तरह ही प्रसिद्ध है. मान्यता है कि इसकी परंपरा भगवान् श्री कृष्ण के काल से चली आ रही है. 18 वीं सदी में यहां के प्रसिद्ध संत लक्ष्मी नाथ गोंसाई बाबाजी ने इस प्रथा को शुरू किया था. बिहार की सबसे बड़ी आबादी और तीन पंचायत वाले बनगांव की इस होली की राज्य और देश में अलग सांस्कृतिक पहचान है.
बनगांव के भागवती स्थान के पास यह होली खेली जाती है जिसमें इंसानों के साथ ही आसपास के इमारतों को भी रंग बिरंगे पानी के फव्वारे से सराबोर कर दिया जाता है. स्थानीय लोगों की माने तो यहां की होली सांप्रदायिक एकता का प्रतीक है .
बाबा लक्ष्मी नाथ गोंसाई द्वारा शुरू की गई परंपरा के मुताबिक सभी जाति- धर्म के लोग बगैर राग-द्वेष के एक साथ होली खेलते है ,सभी लोग बैलजोड़ी होली का प्रदर्शन करते है. पूरे क्षेत्र और गांव के लोग भगवती स्थान के प्रांगण में आकर होली मनाते हैं.
इस दौरान वहां एक-दूसरे के कपड़ों को फाड़ कर भी लोग होली का आनंद उठाते हैं. गांव के एकता की इस अनूठे मिशाल की तारीफ हरतरफ होती है. सभी जाति धर्म के लोग एक दूसरे के कंधे पर सवार होकर होली मनाते हैं.
बिहार की राजधानी पटना में जूते और चप्पलों से होली खेली गई है. लोगों ने जूते और चप्पलों से ऐसी होली खेली की कुछ ही देर में पूरा स्वीमिंग पूल रंग-बिरंगे पानी की जगह जूते-चप्पलों से भरा हुआ नजर आया.
दरअसल, होली के मौके पर हर साल पटना के फेंटेंसिया वाटर पार्क में LA Tomatina फेस्टिवल का आयोजन किया जाता है. इस खास मौके पर लोग एक-दूसरे पर टमाटर फेंककर होली मनाते हैं.
इस बार भी होली से एक दिन LA Tomatina फेस्टिवल का आयोजन किया था. इस फेस्टिवल में हजारों की संख्या में लोग शामिल हुए थे, लेकिन इस भीड़ में अचानक कुछ लोगों ने टमाटर की जगह चप्पलों की बारिश शुरू कर दी और आधे घंटे तक दो गुटों में जमकर चप्पल की बरसात हुई.
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