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Holi 2025 : क्या है इस्लाम और होली पर विवाद?

Uma Verma
12 March 2025 10:36 AM GMT
Holi 2025 : क्या है इस्लाम और होली पर विवाद?
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Holi 2025 : होली, जो कि हिंदू धर्म का प्रमुख त्योहार है, भारत सहित विश्वभर में धूमधाम से मनाया जाता है। परंतु, इस त्योहार को लेकर मुसलमानों के बीच एक भिन्न नजरिया है। कई मुसलमान इस दिन रंग खेलने से बचते हैं, क्योंकि इस्लाम में इसे हराम माना जाता है। लेकिन, क्या वास्तव में इस्लाम में होली मनाना गलत है, या फिर यह एक सामाजिक और सांस्कृतिक पहलू से जुड़ा मामला है?

इस्लाम में रंग खेलने पर विवाद तब पैदा होता है, जब इसे धार्मिक दृष्टिकोण से देखा जाता है। मुसलमानों के धर्मग्रंथ कुरान और हदीस में किसी विशेष हिंदू त्योहार का उल्लेख नहीं है, और इस्लाम की शिक्षा के अनुसार, किसी भी तरह के धार्मिक कर्मों की मंशा और उद्देश्य को पवित्र रखना जरूरी होता है। इस्लाम में 'अवधि से बाहर' या 'गैर-इस्लामी रीति-रिवाज' की अवधारणाएं हैं, जिसके तहत गैर-मुस्लिमों के त्योहारों को अपनाना गलत माना जाता है।

लेकिन क्या इतिहास में भी ऐसा था? जब हम इतिहास के पन्नों को पलटते हैं, तो खासकर मुगलों के दौर में, होली का उत्सव मुसलमानों के बीच भी काफी प्रचलित था। मुगलों के समय में, खासकर बादशाह अकबर के शासन में, होली एक सांस्कृतिक पर्व के रूप में मनाई जाती थी, जहां हिंदू और मुसलमान मिलकर रंग खेलते थे, और खुशियाँ मनाते थे। अकबर के दरबार में ऐसी कई घटनाएँ दर्ज हैं, जब वह अपने मुसलमान दरबारीयों के साथ होली का उत्सव मनाते थे।

यह बदलाव संभवतः आधुनिक दौर में समाज और धर्म के विचारों के कारण आया है। आजकल के मुस्लिम समाज में धार्मिक पवित्रता और शरीयत के पालन पर विशेष जोर दिया जाता है, जिसके कारण बहुत से मुसलमान होली जैसे हिंदू त्योहारों से दूर रहते हैं। साथ ही, इस्लामिक संस्थाओं और मौलवियों द्वारा भी इस परंपरा को नकारात्मक दृष्टिकोण से देखा जाता है, जिससे यह सामाजिक विवादों का कारण बनता है।

वहीं दूसरी ओर, कुछ मुसलमानों का मानना है कि होली एक सांस्कृतिक पर्व है, जिसे रंगों और प्रेम के साथ मनाना चाहिए, और वे इस दिन को सामाजिक एकता और भाईचारे के प्रतीक के रूप में देखते हैं। इस विचारधारा के तहत, वे यह मानते हैं कि रंग खेलना और खुशियाँ मनाना इस्लाम में कोई बुराई नहीं है, जब तक इसकी पवित्रता और धार्मिक उद्देश्यों में कोई भटकाव न हो।

कुल मिलाकर, यह मुद्दा जटिल है और इसमें धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण की महत्वपूर्ण भूमिका है। जैसे-जैसे समय बदल रहा है, वैसे-वैसे इस मुद्दे पर मतभेद भी बढ़ रहे हैं। इसलिए, होली जैसे पर्व को मनाने या न मनाने का निर्णय व्यक्तिगत आस्थाओं और धार्मिक विचारों पर निर्भर करता है।


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