
Holi 2025 | होली का त्योहार भारत की प्राचीनतम परंपराओं में से एक है, जिसकी जड़ें वेदों और पुराणों तक फैली हुई हैं। यह सिर्फ रंगों का त्योहार नहीं बल्कि सामाजिक समरसता, भक्ति, और विजय का प्रतीक भी है।
पौराणिक कथा और ऐतिहासिक संदर्भ
होली का सबसे प्रसिद्ध संदर्भ भक्त प्रह्लाद और हिरण्यकशिपु की कथा से जुड़ा है। असुर राजा हिरण्यकशिपु ने भगवान विष्णु के प्रति अपने पुत्र प्रह्लाद की भक्ति से क्रोधित होकर अपनी बहन होलिका को आदेश दिया कि वह प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठे। होलिका को वरदान प्राप्त था कि अग्नि उसे नहीं जला सकती, लेकिन प्रभु की कृपा से प्रह्लाद सुरक्षित रहे और होलिका जलकर भस्म हो गई। इस घटना की याद में 'होलिका दहन' की परंपरा चली आ रही है।
मुगलकाल और शाही होली
इतिहास में मुगल बादशाह भी होली के रंग में रंगे नजर आते थे। अकबर से लेकर बहादुर शाह जफर तक, सभी मुगल शासक अपनी प्रजा के साथ इस त्योहार को मनाते थे। खासकर, शाही दरबारों में गुलाबजल, इत्र और केसर घुली रंगीन होली खेली जाती थी।
अंग्रेजों के दौर में होली
ब्रिटिश राज में होली को लेकर मिश्रित दृष्टिकोण देखने को मिला। अंग्रेज अधिकारी भारतीयों के इस रंग-बिरंगे त्योहार को देखकर चकित होते थे, लेकिन कई बार इसे रोकने का प्रयास भी किया गया। बावजूद इसके, स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महात्मा गांधी और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों ने इसे एकता और भाईचारे का प्रतीक बनाकर मनाया।
आधुनिक युग में होली
आज होली पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हो चुकी है। खासतौर पर "फेस्टिवल ऑफ कलर्स" के नाम से यह अमेरिका, यूरोप और अन्य पश्चिमी देशों में भी धूमधाम से मनाई जाती है। बॉलीवुड फिल्मों और सोशल मीडिया के चलते होली का क्रेज और बढ़ गया है।
