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हिंदू महिलाओं ने अपने पति के स्वास्थ्य, सुरक्षा व दीर्घायु के लिए रखा उपवास
चंडीगढ़। करवा चौथ को निर्जला व्रत एक दिवसीय त्योहार है जहां आज विवाहित हिंदू महिलाओं ने अपने पति के स्वास्थ्य, सुरक्षा व दीर्घायु के लिए उपवास रखा। चंडीगढ़, पंचकूला, जीरकपुर व आसपास महिलाओं द्वारा हर्षोल्लास से इसे मनाया गया। अंजु भारद्वाज ने बताया कि करवा चौथ के व्रत का उल्लेख महाभारत में भी मिलता है। पांडवों पर लगातार आ रही मुसीबतों को दूर करने के लिए द्रौपदी ने भगवान कृष्ण से मदद मांगी, तब श्री कृष्ण ने उन्हें करवाचौथ के व्रत के बारे में बताया, जिसे देवी पार्वती ने भगवान शिव की बताई विधियों के अनुसार रखा था। भारद्वाज के अनुसार सुहाग का प्रतीक माना जाता है करवा चौथ का व्रत।
मान्यता है कि करवा चौथ का पूरे विधि-विधान से व्रत रखने पर अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है। करवा चौथ के दिन मां गौरी और गणेश जी की विधिवत पूजा की जाती है। करवा चौथ का व्रत स्त्रियों के लिए फलदायक माना गया है।करवा का अर्थ है ‘करवा’ यानी मिट्टी का बर्तन जिसे भगवान गणेश का स्वरूप माना जाता है। भगवान गणेश जल तत्व के कारक हैं और करवा में लगी नली(टोंटी) भगवान गणेश की सूंड का प्रतीक है। इस दिन मिट्टी के करवा में जल भरकर पूजा में रखना शुभ माना जाता है। अंजु भारद्वाज ने बताया कि हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को यह व्रत मनाया जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु की कामना के साथ निर्जला व्रत रखती हैं और शाम की पूजा के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत तोड़ती हैं। करवा चौथ का व्रत कठिन व्रतों में से एक माना गया है।