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हिंदी पत्रकारिता दिवस लोकतन्त्र के चौथे स्तम्भ की सार्थकता

Sanjna Verma
30 May 2024 6:50 PM GMT
हिंदी पत्रकारिता दिवस लोकतन्त्र के चौथे स्तम्भ की सार्थकता
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नई दिल्ली। हिन्दी भाषा का प्रथम समाचार पत्र 'उदन्त मार्तण्ड' 30 मई 1826 को प्रकाशित हुआ था। इसी कारण 30 मई को हिन्दी पत्रकारिता दिवस के रूप में मनाया जाता है। साप्ताहिक समाचार पत्र 'उदन्त मार्तण्ड' के सम्पादक स्मृतिशेष पं. जुगुल किशोर शुक्ल थे। अपने समय के चर्चित वकील पं. जुगुल किशोर शुक्ल ने कोलकाता (तब कलकत्ता) के कोलूटोला से इस समाचार पत्र का प्रकाशन प्रारम्भ किया था। उस समय देश में अंगेजी, फारसी और बंगला भाषा में तो कई समाचार पत्र निकलते थे। परन्तु हिन्दी भाषा का एक भी अखबार नहीं था। हालाकि सन 1818−19 में बंगला भाषा के अखबार 'समाचार दर्पण' में कुछ पृष्ठ हिन्दी भाषा के भी हुआ करते थे। परन्तु हिन्दी पत्रकारिता का प्रणेता 'उदन्त मार्तण्ड' को ही माना जाता है। क्योंकि यह पहला पूर्ण हिन्दी समाचार पत्र था। यद्यपि आर्थिक परेशानियों के चलते 'उदन्त मार्त.ड' मात्र डेढ़ वर्ष तक ही प्रकाशित हो पाया। परन्तु हिन्दी पत्रकारिता के लिए प्रेरणा−स्रोत बनकर सदा सर्वदा के लिए प्रतिष्ठित हो गया। समय के बढ़ते क्रम में हिन्दी पत्रकारिता ने अंग्रेजी पत्रकारिता के दबदबे को समाप्त करके आज अपनी अलग पहचान बनाने में पूर्ण सफलता प्राप्त कर ली है। वर्तमान समय में अनेक हिन्दी समाचार−पत्र देश के कोने−कोने में अपनी पहुँच बना चुके हैं। देश भर में हिन्दी के दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक और मासिक पत्र−पत्रिकाओं की बहुत बड़ी संख्या यह सिद्ध करती है कि भारत में हिन्दी पत्रकारिता ने 200 वर्षों से भी कम समय में कितना अधिक विकास किया है। संचार क्रान्ति के उत्तरपथ में हिन्दी पत्रकारिता का एक नवीन चेहरा दूरदर्शन के विभिन्न हिन्दी चैनलों के रूप में भी स्थापित होने में सफल रहा है। परन्तु इन चैनलों की व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा ने पत्रकारिता के मूल्यों का क्षरण करने में भी महती भूमिका निभायी है। जिससे पत्रकारिता की विश्वसनीयता पर अब प्रश्न−चिन्ह भी लगने लगे हैं।

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