केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने राजभाषा शील्ड एवं मौलिक पुस्तक योजना के अनुसार वरिष्ठ पत्रकार और लेखक अरविंद कुमार सिंह को उनकी पुस्तक हिंदुस्तान में जल परिवहन के लिए सम्मानित किया गया। विज्ञान भवन में शनिवार को आयोजित मंत्रालय की हिंदी सलाहकार समिति की बैठक में यह पुरस्कार दिया गया। इस कार्यक्रम में कई सांसद, मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी और सभी बंदरगाहों के प्रमुख अधिकारी उपस्थित थे।
उनकी लिखी पुस्तक हिंदुस्तान में जल-परिवहन हिंदुस्तान में नौवहन के गौरवशाली अतीत के साथ मौजूदा परिदृश्य में भविष्य की सम्भावनाओं की पड़ताल करती है। इस पुस्तक का प्रकाशन नेशनल बुक ट्रस्ट इण्डिया ने किया है। सदियों तक जल परिवहन हमारे सामाजिक-आर्थिक विकास में मददगार रहा। शक्तिशाली जलमार्गों के तट पर वैभवशाली नगर बसे। लेखक का मानना है कि आज भी राष्ट्र में कई इलाकों में लाखों लोगों की जरूरतें जल परिवहन से पूरी होती है। धीमी गति के बाद भी यह गरीबों के लिए जीवनरेखा बना हुआ है और आपदाओं के दौरान देसी नौकाएं तक सबसे अधिक काम आती है।
भारत में जल परिवहन
उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में 7 अप्रैल 1965 को जन्में अरविंद कुमार सिंह हिंदी के प्रतिष्ठित पत्रकार और लेखक हैं। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से उच्च शिक्षा हासिल करने के बाद पिछले साढ़े तीन दशकों से वे पत्रकारिता और लेखन से जुड़े हैं। जनसत्ता दैनिक से अपना कैरियर शुरुआत करने वाले अरविंद कुमार सिंह ने अमर उजाला, जनसत्ता एक्सप्रेस, हरिभूमि समेत कई अखबारों को सेवाएं दी और तीन वर्षों तक रेल मंत्रालय में सलाहकार भी रहे। एक दशक तक राज्य सभा टीवी में संसदीय मामलों के संपादक के तौर पर पर काम किया। राज्य सभा की मीडिया सलाहकार समिति के अतिरिक्त कई विश्वविद्यालयों के बोर्ड आफ स्टडीज के सदस्य भी रहे हैं। श्री सिंह पीएम युवा कार्यक्रम के मेंटर भी रहे हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में उनकी 600 से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। आकाशवाणी तथा टेलिविजन चैनलों पर 400 से अधिक कार्यक्रम प्रसारित हुए है।
भारत में जल परिवहन
अरविंद कुमार सिंह संचार, परिवहन क्षेत्र और ग्रामीण समाज के अध्येता हैं। अरविंद सिंह कई पुस्तकों के लेखक हैं। नेशनल बुक ट्रस्ट,इंडिया द्वारा प्रकाशित उनकी पुस्तक भारतीय डाक हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू तथा असमिया भाषा में प्रकाशित हुई है। डाक टिकटों में हिंदुस्तान दर्शन पुस्तक के अतिरिक्त उन्होंने भारतीय स्त्री कृषक नामक पुस्तक का हिंदी अनुवाद भी किया है। एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम और कई राज्यों में पाठ्यक्रम में उनकी रचनाएं शामिल किया है।