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दिल्ली Delhi : हिंडनबर्ग ने अडानी समूह पर अपनी पिछली रिपोर्ट के 18 माह बाद एक ब्लॉग पोस्ट में आरोप लगाया, सेबी ने अडानी के मॉरीशस और ऑफशोर शेल कंपनियों के कथित अघोषित जाल में रुचि नहीं दिखाई, जो आश्चर्यजनक है। कांग्रेस ने हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा सेबी प्रमुख माधवी बुच पर लगाए गए आरोपों को लेकर शनिवार को उनकी निंदा की और लातिन कहावत का इस्तेमाल करते हुए कहा, ‘चौकीदार की चौकीदारी कौन करेगा।’ कांग्रेस महासचिव Jairam Ramesh जयराम रमेश ने हिंडनबर्ग की पोस्ट को टैग करते हुए सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर लिखा, ‘संसद को 12 अगस्त की शाम तक कार्यवाही के लिए अधिसूचित किया गया था। अचानक 9 अगस्त की दोपहर को ही इसे अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। अब हमें पता है कि क्यों।’ कांग्रेस ने शनिवार को केंद्र से अडानी समूह की नियामक जांच में हितों के सभी टकराव को खत्म करने के लिए तुरंत कार्रवाई करने की मांग की। विपक्षी दल ने यह भी कहा कि ‘देश के सर्वोच्च अधिकारियों की कथित मिलीभगत’ का समाधान केवल ‘घोटाले’ की पूर्ण जांच के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति गठित करके ही किया जा सकता है।
सेबी प्रमुख ने हमारे पत्रों का जवाब क्यों नहीं दिया: प्रियंका चतुर्वेदी सेबी प्रमुख पर आरोपों के मद्देनजर शिवसेना-उद्धव बालासाहेब ठाकरे (शिवसेना-यूबीटी) की नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने शनिवार को कहा कि अब यह स्पष्ट हो गया है कि सेबी ने अडानी समूह की कंपनियों के विवरण मांगने वाले उनके पत्रों का जवाब क्यों नहीं दिया। चतुर्वेदी ने पिछले साल अप्रैल में अडानी समूह की कंपनियों के खिलाफ जांच का ब्योरा मांगा था। शिवसेना यूबीटी प्रवक्ता आनंद दुबे ने कहा कि हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट से पता चलता है कि इस मामले में सेबी प्रमुख की संलिप्तता है। दुबे ने कहा, ‘सवाल यह है कि मामले की जांच कौन करेगा। जिस तरह से संसद सत्र संपन्न हुआ, उससे ऐसा लगता है कि कुछ गड़बड़ है।’ हिंडनबर्ग ने नए दावे में सेबी चेयरपर्सन को लपेटा अमेरिका की रिसर्च कंपनी हिंडनबर्ग ने शनिवार को अपनी नई रिपोर्ट में सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच पर गंभीर आरोप लगाए हैं। हिंडनबर्ग रिसर्च के नए दावे के मुताबिक सेबी की चेयरपर्सन madhavi buch माधवी बुच और उनके पति की अडानी मनी साइफनिंग मामले में इस्तेमाल किए गए दोनों अस्पष्ट ऑफशोर फंडों में हिस्सेदारी थी। हालांकि सेबी की ओर से इस पर तत्काल कोई टिप्पणी नहीं आई है। इससे पहले हिंडनबर्ग रिसर्च ने सुबह सोशल मीडिया मंच एक्स पर ऐलान किया था कि भारत में कुछ बड़ा होने वाला है।
हिंडनबर्ग ने अडानी समूह पर अपनी पिछली रिपोर्ट के 18 माह बाद एक ब्लॉग पोस्ट में आरोप लगाया, सेबी ने अडानी के मॉरीशस और ऑफशोर शेल कंपनियों के कथित अघोषित जाल में रुचि नहीं दिखाई, जो आश्चर्यजनक है। दस्तावेजों का हवाला देते हुए कहा गया कि सेबी की वर्तमान प्रमुख माधवी बुच और उनके पति धवल बुच के पास अडानी धन मामले में इस्तेमाल किए गए दोनों अस्पष्ट ऑफशोर बरमूडा और मॉरीशस फंड में हिस्सेदारी थी। इसमें गौतम अडानी के भाई vinod adani विनोद अडानी ने काफी मात्रा में पैसा लगाया गया था। विनोद अडानी समूह की कंपनियों के चेयरमैन हैं। उन्होंने इस फंड का इस्तेमाल किया। हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपने आरोपों में कहा कि अप्रैल 2017 से लेकर मार्च 2022 के दौरान माधबी पुरी बुच सेबी की पूर्ण सदस्य होने के साथ चेयरपर्सन भी थीं। उनका सिंगापुर में अगोरा पार्टनर्स नाम से कंसलटिंग फर्म में 100 फीसदी स्टेक था। 16 मार्च 2022 को सेबी के चेयरपर्सन नियुक्ति किए जाने से दो हफ्ते पहले उन्होंने कंपनी में अपने शेयर्स अपने पति के नाम ट्रांसफर कर दिए।सेबी चेयरपर्सन को लपेटा रिपोर्ट में आगे कहा गया है- व्हिसिलब्लोअर दस्तावेजों के अनुसार ऐसा लगता है कि माधवी बुच और उनके पति धवल बुच ने पहली बार 5 जून, 2015 को सिंगापुर में आईपीई प्लस फंड 1 के साथ अपना खाता खोला था। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ऑफशोर मॉरीशस फंड की स्थापना इंडिया इंफोलाइन के माध्यम से एक अडानी निदेशक द्वारा की गई थी और यह टैक्स हेवन मॉरीशस में रजिस्टर्ड है। हिंडनबर्ग नेकहा कि ठीक उसी फंड का उपयोग किया जा रहा है, जिसका इस्तेमाल गौतम अडानी के भाई विनोद अडानी ने किया था।
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Jyoti Nirmalkar
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