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Highest Arch Railway: विश्व का सबसे ऊंचा रेलवे आर्क ब्रिज, भारत के इस राज्य में हो रहा तैयार
Deepa Sahu
13 March 2021 4:01 PM GMT
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दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे आर्क ब्रिज
जनता से रिश्ता वेबडेस्क: नई दिल्ली: भारत के जम्मू-कश्मीर में दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे आर्क ब्रिज बन रहा है। यह ब्रिज लगभग तैयार हो गया है। करीब तीन साल पहले इस पुल का निर्माण कार्य शुरू हुआ था। यह पुल चिनाब नदी पर बन रहा है। रेल मंत्रालय (Ministry of Railways) और रेल मंत्री पीयूष गोयल (Piyush Goyal) ने इस ब्रिज के कुछ फैक्ट्स की जानकारी देने वाला एक वीडियो शेयर किया है। आइकॉनिक 'चिनाब ब्रिज' इस खंड में तैयार होने वाली प्रमुख संरचनाओं में से एक है। चिनाब नदी पर बन रहा यह पुल नदी तल से 359 मीटर की ऊंचाई पर है। यह कश्मीर घाटी को बाकी भारत से जोड़ेगा। दो अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं के कारण रणनीतिक महत्व रखने वाले इस क्षेत्र के लिए यह रेलवे लाइन देश के सशस्त्र बलों के लिए भी सहायक सिद्ध होगी।
एफिल टावर भी है छोटा
इस पुल की लंबाई 1,315 मीटर है। इसमें 467 मीटर का मेन आर्क स्पैन है। यह अब तक बनी किसी भी ब्रॉड गेज लाइन का सबसे लंबा आर्क स्पैन है। यह पुल पेरिस के एफिल टॉवर (324 मीटर) से 35 मीटर ऊंचा और कुतुब मीनार के मुकाबले लगभग 5 गुना अधिक ऊंचा होगा।
तगड़ा भूकंप झेलने में भी सक्षम
इस पुल को रिक्टर पैमाने पर 7 और उससे अधिक की तीव्रता के भूकंपों को झेलने के लिहाज से तैयार किया जा रहा है। पुल 266 किमी प्रति घंटे की रफ्तार की हवा में भी डटा रहेगा। भारत में पहले ऐसे किसी पुल का निर्माण नहीं हुआ था और इसलिए इस विशाल संरचना के निर्माण के लिए कोई संदर्भ कोड या डिजाइन भी उपलब्ध नहीं था। ऐसे में इस विशाल निर्माण के लिए वास्तुशिल्प दुनियाभर में इसी तरह की परियोजनाओं से प्राप्त अनुभवों और कई प्रतिष्ठित राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर की एजेंसियों के विशेषज्ञों से राय के आधार पर तैयार की गई।
120 सालों तक रहेगा जस का तस
कंस्ट्रक्शन एक्टिविटी जब चरम पर थी, उस वक्त इस पुल की साइट पर लगभग 3200 वर्कर काम कर रहे थे। पुल 120 सालों तक जस का तस रह सकता है। तैयार होने के बाद यह पुल भारतीय रेलवे के इंजीनियर्स की एक बड़ी उपलब्धि और उनकी इंजीनियरिंग का एक बेजोड़ नमूना होगा। भारतीय रेलवे नेटवर्क की 272 किलोमीटर "उधमपुर-कटरा-क़ाजीगुंड-बारामुला" (यूएसबीआरएल) राष्ट्रीय रेल परियोजना लाइन के माध्यम से कश्मीर घाटी को शेष भारत के साथ जोड़ा जाना है।
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