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हाईकोर्ट का अहम फैसला, लड़की के स्तन विकसित नहीं होने पर गलत इरादे से छूना यौन अपराध
jantaserishta.com
16 April 2022 4:55 PM GMT
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कोलकाता: कलकत्ता हाई कोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि यौन उत्पीडऩ की शिकार लड़की के स्तन विकसित नहीं होने पर भी उसे गलत इरादे से छूना यौन अपराध की ही श्रेणी में आएगा। अदालत ने कहा कि इसमें यह साबित होना चाहिए कि ऐसा करने वाले ने यौन इरादे से पीडि़ता के विशेष अंग को छुआ था। इस मामले में हाई कोर्ट ने उसे पाक्सो एक्ट की धारा सात के तहत दोषी माना।
सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने दलील देते हुए कहा कि पीडि़ता के स्तनों को छूने का सवाल ही नहीं है, क्योंकि इस मामले चिकित्सा अधिकारी ने अपने बयान में कहा है कि लड़की के स्तन विकसित नहीं हुए थे। इस दलील पर अदालत सहमत नहीं हुई। न्यायाधीश विवेक चौधरी ने कहा कि यह महत्वहीन है कि 13 साल की लड़की के स्तन विकसित हुए हैं या नहीं। लड़की के शरीर के उस विशेष अंग को स्तन ही कहा जाएगा, भले ही मेडिकल कारणों से उसके स्तन विकसित नहीं हुए हों। पाक्सो एक्ट की धारा -7 की व्याख्या करते हुए न्यायाधीश ने कहा कि किसी बच्चे के प्राइवेट पार्ट को छूना या बच्चे को यौन इरादे से छूना यौन उत्पीडऩ का अपराध है।
हाई कोर्ट 2017 के एक मामले पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। इस मामले में 13 साल की एक लड़की की मां ने थाने में शिकायत कर अपनी बेटी के साथ यौन उत्पीडऩ का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि जब उनकी बेटी घर में अकेली थी, तभी आरोपित आया और उसे गलत तरीके से छुआ और उसके चेहरे को चूमा। इस मामले में निचली अदालत ने आरोपित को दोषी ठहराया था।
पीडि़ता को चूमने की मंशा पर सवाल उठाते हुए अदालत ने कहा-'पीडि़ता ने कहा है कि आरोपित ने उसके शरीर के विभिन्न हिस्सों को छुआ और उसे चूमा। एक वयस्क आदमी जो पीडि़त लड़की से किसी तरह संबंधित नहीं है, उसे उसके घर में चूमने के लिए क्यों जाएगा, वो भी तब जब उसके अभिभावक घर में मौजूद नहीं थे। संपर्क और आसपास की परिस्थितियों से किसी व्यक्ति के यौन इरादे का पता लगाया जा सकता है। यौन इरादे का कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं हो सकता है। इस मामले में आरोपित का शिकायतकर्ता के घर में उसके और उसके पति की अनुपस्थिति में प्रवेश करना, पीडि़त लड़की के शरीर को छूना और उसे चूमना यह दर्शाता है कि उसका यौन इरादा था।
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