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हाईकोर्ट का अहम फैसला, पिता की जाति के आधार पर ही वैध होगा बेटे का जाति प्रमाण पत्र, जानें पूरा मामला

jantaserishta.com
4 April 2022 5:42 AM GMT
हाईकोर्ट का अहम फैसला, पिता की जाति के आधार पर ही वैध होगा बेटे का जाति प्रमाण पत्र, जानें पूरा मामला
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नई दिल्ली: बॉम्बे हाई कोर्ट ने हाल ही में ठाणे निवासी भरत तायडे द्वारा दायर किए गए एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि किसी भी व्यक्ति का वैध जाति प्रमाण पत्र उसके पिता के जाति के आधार पर ही होगा. जस्टिस एसबी शुक्रे और जीए सनप की खंडपीठ ने कहा कि भारत में अधिकांश परिवार पितृसत्तात्मक पैटर्न का पालन करते हैं यानी ज्यादातर परिवार में पिता की जाति और संस्कारों के आधार पर ही बच्चे की पालन पोषण होता आया है. जिसे देखते हुए किसी भी व्यक्ति की जाति उसके पिता की जाति या जनजाति से संबंधित माना जाना चाहिए.

कोर्ट ने कहा कि एक ही परिवार के दो भाईयों की जाति एक ही होगी. वह चाहें तो दास्तवेज में अपनी मां या अन्य किसी के आधार पर प्रमाण पत्र नहीं बनवा सकतें. अपने फैसले में, हाईकोर्ट ने राज्य में जाति जांच समितियों को कोर्ट के आदेशों की अवहेलना नहीं करने की भी चेतावनी दी और कहा कि यदि प्रमाण पत्र बनाने वाली ऐसी समिति हाई कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करती पाई गई तो भविष्य में गंभीर कार्रवाई की जाएगी.
कोर्ट ने कहा, "हम न केवल ठाणे में जांच समिति को बल्कि अन्य सभी जांच समितियों को भी उच्च न्यायालयों के आदेशों की अवहेलना करने और हाई कोर्ट द्वारा जारी निर्देशों का ईमानदारी से पालन करने के खिलाफ चेतावनी देते हैं. हम यह स्पष्ट करते हैं कि, भविष्य में अगर यह हमारे संज्ञान में आता है कि इन निर्देशों का किसी भी जांच समिति द्वारा पालन नहीं किया गया है, तो यह न्यायालय किसी भी जांच समिति द्वारा किए गए उल्लंघन पर गंभीरता से विचार करेगा. "
दरअसल ठाणे में स्क्रूटनी कमिटी (जांच समिति) के आदेश को ठाणे निवासी भरत तायडे ने चुनौती दी गई थी जिसमें दूसरी बार भरत के जाति प्रमाण पत्र को अमान्य घोषित किया गया था. इससे पहले, 2016 में हाई कोर्ट ने स्क्रूटनी कमिटी को भरत के अनुसूचित जनजाति 'टोकरे कोली' होने के दावे पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने तब यह भी नोट किया कि भरत तायडे के चचेरे भाई कैलाश तायडे को नासिक जिले में स्क्रूटनी कमिटी द्वारा जाति वैधता प्रमाण पत्र दिया गया था.
हालांकि, स्पष्ट निर्देश के बावजूद ठाणे की समिति ने कैलाश को जारी वैध जाति प्रमाण पत्र के आधार पर विचार करने से इनकार कर दिया था और भरत तायडे के 'टोकरे कोली' समुदाय से संबंधित होने के दावे को खारिज किया था.
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