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हाईकोर्ट का अहम फैसला, युवक या युवती अपनी मर्जी से धर्म बदले तो मॉरल पुलिसिंग नहीं

jantaserishta.com
31 Jan 2022 7:13 AM GMT
हाईकोर्ट का अहम फैसला, युवक या युवती अपनी मर्जी से धर्म बदले तो मॉरल पुलिसिंग नहीं
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जबलपुर: अगर कोई युवक या युवती अपनी मर्जी से धर्म बदलकर शादी कर रहा है या लिव-इन में रहता है तो मॉरल पुलिसिंग नहीं होनी चाहिए।यह बात मध्य प्रदेश की जबलपुर हाई कोर्ट ने अपने एक आदेश में कही। जस्टिस नंदिता दूबे ने जबलपुर के रहने वाले गुलजार खान के केस में सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया।

गुलजार ने अपनी याचिका में बताया था कि उसने महाराष्ट्र में 19 वर्षीय आरती साहू से शादी की थी। बाद में आरती ने अपनी मर्जी से धर्म परिवर्तन भी कर लिया था। गुजलार के मुताबिक आरती के घरवाले उसे जबरन वाराणसी ले गए हैं और घर में बंद कर दिया है। कोर्ट ने मामले में फैसला सुनाते हुए राज्य सरकार और पुलिस अफसरों को युवती को उसके पति के सुपुर्द करने का आदेश दिया।
आरती साहू को 28 जनवरी को सुनवाई के दौरान एडवोकेट जनरल के ऑफिस से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट के सामने पेश किया गया था। इस दौरान सरकारी वकील ने मध्य प्रदेश फ्रीडम ऑफ रेलिजन एक्ट 2021 के तहत इस शादी पर ऑब्जेक्शन किया। मध्य प्रदेश में बने इस कानून के मुताबिक केवल शादी के लिए जोर-जबर्दस्ती करके किसी का धर्म परिवर्तन नहीं कराया जा सकता। इसके जवाब में कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहाकि अगर दो वयस्क आपसी सहमति से शादी या लिव इन में रहना चाहते हैं तो किसी मॉरल पुलिसिंग की जरूरत नहीं है। अगर दोनों पक्षों ने बिना किसी दबाव के धर्म परिवर्तन किया तो भी ऐसा नहीं किया जाना चाहिए।हाई कोर्ट ने इस बात का संज्ञान लिया कि युवती ने अपने बयान में स्पष्ट रूप से कहाकि उसने याचिकाकर्ता युवक से अपनी मर्जी से विवाह रचाया है। साथ ही उसने युवक के साथ रहने की भी मंशा जताई। कोर्ट ने कहाकि युवती बालिग है और दोनों पक्षों ने भी उसकी उम्र पर कोई सवाल नहीं उठाया है। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहाकि संविधान ने देश में रहने वाले हर नागरिक को हक दिया है कि वह अपनी मर्जी के मुताबिक जिंदगी जी सकता है। हालात को देखते हुए सरकारी वकील द्वारा विवाह पर उठाई गई आपत्ति और युवती को नारी निकेतन भेजने की अपील कोर्ट खारिज करती है।

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